लखनऊ। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक ने सभी समस्त डिस्कॉम को संविदा कर्मी को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्देश दिये गये थे, लेकिन मध्यांचल सहित सभी डिस्कॉम उक्त आदेश पत्र पर समोसा खाकर रद्दी की टोकरी में ऐसे फेक दिया, जैसे उनकी नजर में पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक न होकर, एक गरीब उपभोक्ता की परेशानी से भरा एक पत्र हो।
उत्तर प्रदेश की बात यदि हम छोड़ दे, तो सिर्फ लखनऊ स्थित कोई डिविजन अथवा उपक्रेन्द्र द्वारा पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक द्वारा निविदाकर्मी को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्देश का पालन नहीं कर रहा है।
बताते चलें कि उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक द्वारा कार्यालय पत्रांक संख्या 983 के माध्यम से दिनांक 19 अप्रैल 2023 को मध्यांचल सहित समस्त डिस्कॉम को निर्देशित किया जा चुका है कि आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से नियोजित कार्मिकों को जहां उनका निवास स्थान हो, उस सब स्टेशन/फीडर पर तैनात न किया जाए और एक ही सब स्टेशन/फीडर पर ग्रामीण क्षेत्र में पांच वर्ष तथा शहरी क्षेत्र में तीन वर्ष से अधिक समय तक न रखा जाए। सबसे मलाईदार डिविजन चिनहट विद्युत खण्ड का धज्जियां उड़ाने में आगे है, हाल यह है कि स्थानांतरण आदेश को दर किनार कर 04 महीना पहले ट्रांसफर हुए संविदा कर्मी अब तक जमे हुए हैं।
बिजली विभाग में संविदा कर्मी के राजनैतिक रसूख का आलम यह है कि लगभग 04 माह पूर्व स्थानांतरण होने के बावजूद भी अधिकतर निविदा कर्मी, विद्युत वितरण खण्ड चिनहट जिसे अधिकतर मलाईदार खण्ड के नाम से भी जाना जाता है, के संविदा कर्मी किसी भी हाल में छोड़ने के लिए तैयार नही हैं।
बताते चले कि सम्पूर्ण प्रदेश में डिविजन/उपक्रेन्दों में तैनात संविदा कर्मियों की मनमानी का हाल यह है कि किसी भी उपभोक्ता को कोई भी विद्युत कार्य करवाने के लिए सबसे पहले इन मनबढ़ संविदा कर्मी को चढ़ावा चढ़ाना ही पड़ता है, इनकी मर्जी के बिना उपभोक्ता कुछ नहीं कर सकता। जरूरी से जरूरी फाईल भी इनके पास से होकर गुजरती हैं, यहीं नहीं संविदा कर्मी उपभोक्ता से अवैध वसूली करने के लिए खुद को उपखण्ड अधिकारी, तो कभी खुद को अवर अभियन्ता भी बताने से पीछे नहीं हटते।
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक के आदेश के बाद चिनहट डिविजन के अधिशासी अभियंता ने अपनी पीठ थपथपाने के लिए संविदा कर्मी जितेंद्र प्रजापति, रोहित बाजपेई, प्रिया मिश्रा, अर्जुन वर्मा, अभय वर्मा और विपिन के स्थानांतरण के आदेश जारी कर दिए, इस आदेश में लगभग 12 वर्षो से तैनात भ्रष्ट संविदा कर्मी बरकत अली, पवन सिंह पर कार्यवाही करना तो दूर की बात है, स्थानांतरण के आदेश जारी करने से कतराते रहे, जो अभी भी विद्युत खण्ड चिनहट में ही जमे हुए हैं।
इन संविदा कर्मी पर प्रबन्ध निर्देशक के आदेश हवा हवाई साबित हो रहे हैं तथा कुछ संविदा कर्मी ऐसे भी है जो राजनैतिक रसूख के दम पर डिवीजन में जमे है और लग्जरी जीवन का आनंद ले रहे हैं लगभग 12 वर्षो से भी ज्यादा समय से एक ही डिवीजन में जमे और विद्युत उपभोक्ताओं से ठगी कर लाखों में खेलने वाले संविदा कर्मी पवन सिंह हो या फिर बिल रिवाइज करने के नाम पर करोड़ो का राजस्व का नुकसान कराने बरकत अली, हो या फिर शिवम शुक्ला, सर्वेश कुमार वर्मा नामक संविदा कर्मी पर कोई कार्यवाही नहीं हो पाई इन पर विभागीय अधिकारियों के आदेशों का भी कोई असर नहीं पड़ता और इन संविदा कर्मियों के खिलाफ आए दिन लिखित शिकायतें उपभोक्ताओं द्वारा उच्चाधिकारियों को की जाती रहती है, उच्चाधिकारी दिखाने के नाम पर जांच के आदेश भी देते है, लेकिन जांच कछुआ की चाल चलती रहती है और ये संविदा कर्मी बेफिक्र होकर उपभोक्ताओं के साथ ठगी करते रहते हैं, कुछ दिन उपरान्त सब मामला शान्त हो जाता है, लोग भूल जाते है। इन सवके बीच सबसे बड़ा प्रश्न चिन्ह यह कि आखिर किसके संरक्षण में ये भ्रष्ट लोग फल फूल रहे है...
जिनके खिलाफ कोई शिकायत नहीं, कोई जॉच नहीं... दिखाने के नाम पर उन संविदा कर्मी को चिनहट डिविजन से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है, लेकिन जो खुले आम भष्ट्राचार में लिप्त है, सबूत है, उनको अधिकारी अपने सिर पर बैठाये है, इसी क्रम में ताजा नाम संविदा कर्मी दुर्गा यादव का है, जिनके खिलाफ पावर कारपोरेशन के किसी भी अधिकारी के पास कोई शिकायत नहीं, कहीं कोई जॉच नहीं चल रही है, फिर भी चिनहट डिविजन से बाहर का रास्ता दिखा गया।
एक और मामला चिनहट डिवीजन का सुर्खियों में चल रहा है, जहां पर कई सालो से तैनात संविदा कर्मी पवन सिंह द्वारा विधवा महिला से कर निर्धारण के नाम पर 45000 रुपए ठगी करने का मामला आवाज प्लस बैनर ने गत 27 सितम्बर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। भुगतान न होने पर लाइट कटने के उपरान्त चोरी से लाइट का प्रयोग कर रही एक विधवा महिला के घर छापेमारी कर विद्युत चोरी पकड़ी गई थी, जिसमे महिला पर विभाग द्वारा 40988.00 रुपए का कर निर्धारण और 4000 रुपए शमन शुल्क लगाया गया था, जिसके कारण उक्त महिला चिनहट डिवीजन में बिजली चोरी के एसेसमेंट का कार्य कराने के चक्कर लगाने लगी, इसी दौरान सैकड़ो चक्कर लगाने के उपरांत अचानक एक संविदा कर्मी, जिसने अपने आप को विभागीय कर्मचारी बताते हुए अपना नाम पवन सिंह बताया कि आपके ऊपर कुछ जुर्माना लगा है, उसकी अदा कर दीजिए कनेक्शन आपका जोड़ दिया जाएगा... उसके उपरांत उपभोक्ता द्वारा लगातार पवन सिंह के संपर्क में रहे इस दौरान संविदा कर्मी पवन सिंह द्वारा मौखिक रूप से बताया गया कि आपका कर निर्धारण 140000 रुपए किया गया है, जबकि वास्तव में उसका कारण निर्धारण 40988 रुपए ही था, जिस पर उपभोक्ता ने उपरोक्त राशि देने में असमर्थता जताई, और संविदा कर्मी पवन सिंह से कुछ बिल कम करने का निवेदन किया, इसके उपरांत संविदा कर्मी पवन सिंह ने कहा कि यदि आप 80000 दे दो, तो सारा मामला खत्म हो जाएगा और आपके कनेक्शन को जोड़ दिया जाएगा.. लेकिन उपभोक्ता यह भी राशि देने के लिए तैयार नहीं हो पाया, क्योंकि वह खुद ही असमर्थ थी, अगर यह पेमेंट होता तो बिल न जमा कर देता, खैर उपभोक्ता के बार-बार निवेदन पर पवन सिंह ने 40000 की मांग की, जिस पर उपभोक्ता द्वारा एक बार में 20000 और दूसरे दिन 25000 नगद पवन सिंह को दिया, पवन सिंह द्वारा जल्द उसके काम करने का भरोसा दिया... 2 दिन के उपरांत जब उपभोक्ता ने संविदा कर्मी पवन सिंह से कनेक्शन जोड़कर मीटर लगाने की बात कही... संविदा कर्मी पवन सिंह द्वारा खुद जोड़ लेने की बात कही और कहा मीटर दो-चार दिन में लग जाएगा। संविदा कर्मी पवन सिंह की बातों में आकर उपभोक्ता ने अपने घर की लाइट को जुडा लिया और मीटर लगने का इंतजार करने लगा... कुछ दिन के उपरांत एक बार फिर विजिलेंस द्वारा उपभोक्ता को बिजली चोरी करते हुए पकड़ लिया जाता है, इसके उपरांत यह पता चलता है कि उक्त संविदा कर्मी पवन सिंह द्वारा कर निर्धारण की कोई भी राशि विभाग में जमा ही नहीं की, लिहाजा इस बार उसका कर निर्धारण 1,56,072.00 बनाया गया, तब उक्त महिला को पहली बार एहसास हुआ कि उपरोक्त संविदा कर्मी पवन सिंह ने हमारे साथ ठगी का काम किया है।
आखिर यह नौबत क्यों आई?
यदि किसी कारण बिजली का बिल 57000 उपभोक्ता का पहुंच गया और रिकवरी टीम पैसा वसूलने के लिए उसके घर गई, इसके उपरांत ₹20000 उपभोक्ता द्वारा रिकवरी टीम को दिया जा रहा था को दिया जा रहा था तो 25% जमा करने का विभाग की नियमावली का पालन क्यों नहीं किया गया, यदि वह पैसा जमा कर लिया जाता तो आज उपभोक्ता द्वारा बिजली चोरी करने की कोई नौबत आती ही नहीं बिजली पानी सबका मौलिक अधिकार है इसके बगैर कोई भी जीवन यापन नहीं कर सकता... यदि आज उपभोक्ता के साथ इस प्रकार का अन्याय हो रहा है तो सर्वप्रथम दोषी अवर अभियंता की रिकवरी टीम है... उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन कहीं यह नहीं कहता की निविदा कर्मचारियों से राजस्व की वसूली करें... लेकिन इसका पालन कोई भी पावर हाउस नहीं करता है ना ही विभाग इस पर कोई आपत्ति करता है...नतीजन इस प्रकार के निविदा कर्मचारी उपभोक्ताओं को आसानी से अपना शिकार बना लेते हैं।
जिसके उपरान्त परेशान विधवा महिला अपने साथ हुए घटना की जानकारी ऊर्जा मंत्री से लेकर अध्यक्ष पावर कॉरपोरेशन, राज महिला आयोग की अध्यक्ष, प्रमुख सचिव ऊर्जा विभाग, मुख्य अभियंता लेसा ट्रांस गोमती, प्रबंध निदेशक मध्यांचल, अधीक्षक अभियंता द्वितीय व गोमती नगर विस्तार के थाना प्रभारी को पत्र लिखकर आवश्यक कार्रवाई करते हुए दोषियों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत करने क्या निवेदन किया, लेकिन उपभोक्ता को कहीं से भी न्याय नहीं मिल सका। थक हार कर उक्त महिला ने परिवार सहित चिनहट डिवीजन में धरना देना ही शुरू कर दी, जिससे विभाग में हड़कंप मच गया, जिसके उपरान्त उपरोक्त कर्मचारी पवन सिंह फरार हो गये।
दो दिन उक्त महिला ने परिवार सहित चिनहट डिवीजन में धरना देने के उपरान्त अधिशासी अभियन्ता द्वारा उक्त महिला को विश्वास में लेकर आनन फानन में एक प्रेस विज्ञप्ति बिना हस्ताक्षर के जारी कर दिया, जिसमें महिला द्वारा धरना खत्म करने की बात कही... यदि उक्त प्रेस विज्ञप्ति की पहला लाइन ही फर्जी निकल गई, जिसमें बताया गया कि संविदा कर्मी पवन सिंह के इस काले कारनामों की जानकारी दिनांक 05.12.2023 को शिवपुरी पावर हाउस पर जनसुनवाई के दौरान हुई, जबकि हकीकत यह है कि इस मामले को आवाज प्लस बैनर ने गत 27 सितम्बर को ही समाचार पत्र/सोशल प्लेटफार्म पर भी, जिसमें ट्विटर पर विभाग को भी टैग कर प्रकाशित/प्रसारित की गई थी।
खैर उपरोक्त माले में अधीक्षण अभियन्ता ने दो सदस्यीय जांच समिति गठित कर जांच और कार्यवाही के निर्देश दिए थे, लेकिन उस मामले में आज तक जांच के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है न ही महिला को बिजली कनेक्शन तक नही दिया गया, संविदा कर्मी पवन सिंह पूर्व की भांति ही अपने ठगी वाले कार्यों को बखूबी अंजाम देता, अधिकारियों का लाडला होने के नाते उस पर कोई कार्यवाही नही की गई।
बीते दो दिनों में उक्त महिला के धरना से विभाग इतना घबरा गया कि पहले धोखे से महिला को डिविजन से बाहर किया गया, उसके उपरान्त कुछ पीएसी पुलिसकर्मी को पहरेदारी पर बैठा दिया गया कि कहीं से उक्त महिला वापस धरना पर न आ जाये। समाचार लिखे जाने तक अपनी कमी छुपाने के उद्देश्य से उक्त संविदा कर्मी पवन सिंह को निष्कासित कर दिया गया। साथ ही बिना दाग के संविदा कर्मी दुर्गा प्रसाद को बिना शिकायत/जॉच के सिर्फ वाहवाही लेने के चक्कर में, स्थान्तरण कर दिया गया, लेकिन आज भी विभागीय अधिकारी भष्ट्राचारी एवं दबंग संविदा कर्मियों बरकत अली के विरुद्ध कोई कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई।