Sunday, 26 November 2023 00:00
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जब-जब वोटिंग कम हुई है तो बीजेपी को सत्ता गंवानी पड़ी है और कांग्रेस के लिए मुफीद रही है. 1998 से लेकर 2018 तक ऐसा ही देखने को मिल रहा है लेकिन इस बार हालात थोड़े अलग हैं. 2018 के मुकाबले हालिया विधानसभा चुनाव में वोटिंग पर्सेंटेज लगभग समान है. ऐसे में देखना होगा कि किसके ज्यादा वोटर बूथ तक पहुंचे और किसके सिर सजेगा इस बार राजस्थान का ताज.
राजस्थान विधानसभा चुनाव की 200 सीटों में से 199 सीट पर शनिवार को मतदान हुआ. इसी के साथ 1862 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम मशीन में कैद हो चुकी है, जिसका फैसला 3 दिसंबर को होगा. पिछली बार के विधानसभा चुनाव की तरह इस बार भी वोटिंग को लेकर मतदाताओं में उत्साह दिखा. राजस्थान की 199 सीटों पर कुल 74.13 फीसदी मतदान हुआ, जबकि 2018 के चुनाव में 74.06 फीसदी वोटिंग ही हुई थी. ऐसे में आइए समझते हैं कि इस बार सत्ता बदलेगी या पुरानी सत्ता ही रहेगी?
राजस्थान में तीन दशक से सत्ता परिवर्तन का ट्रेंड रहा है यानि हर पांच साल पर सरकार बदल जाती है. विधानसभा चुनाव वोटिंग को देखें तो पिछले चुनाव से इस बार वोटिंग लगभग समान है. पिछले पांच चुनाव के वोटिंग पैटर्न का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि जब-जब वोटिंग कम हुई है तो बीजेपी को सत्ता गंवानी पड़ी है और कांग्रेस के लिए मुफीद रही है. 1998 से लेकर 2018 तक ऐसा ही देखने को मिल रहा है लेकिन इस बार वोटिंग पर्सेंटेज पर गौर करें तो ट्रेंड में कुछ बदलाव भी देखा जा सकता है.
बीजेपी अगर जीतती है तो मिलती है प्रचंड जीत
प्रदेश में वोट फीसदी अगर तीन से 8 फीसदी ज्यादा रहा है तो बीजेपी को फायदा मिलता है जबकि अगर से डेढ़ फीसदी कम हुई है तो कांग्रेस को लाभ मिला है. यह भी गौर करने वाली बात है कि कई बार रिकॉर्ड तोड़ वोटिंग बीजेपी के लिए मुफीद साबित होती है. मसलन, कांग्रेस के जीत का दायरा अगर देखा जाए तो बीजेपी की बराबरी करना उसके लिए मुश्किल है. मसलन, बीजेपी की जीत का दायरा बहुत बड़ा होता है. इस केस में कांग्रेस खाली हाथ रह जाती है.
1998 में से कैसा है राजस्थान में वोटिंग ट्रेंड?
1998 में 63.39 फीसदी वोटिंग हुई थी, जिसमें 153 सीटें कांग्रेस और 33 सीटें बीजेपी ने जीती थी. इस तरह से कांग्रेस के हाथ सत्ता लगी थी. वहीं, 2003 के चुनाव में 67.39 फीसदी मतदान रहा, जो पिछले चुनाव के मुकाबले चार फीसदी ज्यादा था. इस चुनाव में बीजेपी 120 सीटें तो कांग्रेस को 56 सीटें मिली थी. चार फीसदी वोट ज्यादा पड़ने का लाभ बीजेपी को मिला था.
पांच साल के बाद 2008 में राजस्थान विधानसभा चुनाव हुए तो 66.25 फीसदी मतदान रहा, जो 2003 के चुनाव के मुकाबले एक फीसदी कम वोटिंग हुई. बीजेपी 78 सीटों पर सिमट गई और कांग्रेस को 96 सीटें मिली थी. इस तरह एक फीसदी कम वोटिंग होने का फायदा कांग्रेस को मिला था. इसके बाद 2013 में विधानसभा चुनाव हुए तो 75.04 फीसदी वोटिंग हुई, जो 2008 के मुकाबले 9 फीसदी ज्यादा वोटिंग थी. इस चुनाव में बीजेपी को 163 सीटें मिली तो कांग्रेस 21 सीट पर सिमट गई थी. बीजेपी 2013 में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई थी, लेकिन पांच साल बाद सत्ता खिसक गई.
2018 के विधानसभा चुनाव में 74.06 फीसदी मतदान रहा था, जो 2013 के मुकाबले एक फीसदी कम था. इस चुनाव में कांग्रेस को 100 सीट तो बीजेपी को 73 सीट मिली थी. एक फीसदी कम मतदान होने का फायदा कांग्रेस को मिला था और बीजेपी को सत्ता गंवानी पड़ी थी. हालांकि, एक ट्रेंड यह भी है कि पिछले 20 सालों में बीजेपी जब भी सत्ता में आई है तो प्रचंड बहुमत के साथ जबकि कांग्रेस बहुमत से कम रही है.
2018 की तुलना में 2023 के चुनाव में वोटिंग लगभग समान है, ऐसे में देखना है कि इस बार नतीजे क्या रहते हैं. इस बार कांग्रेस और बीजेपी के बीच भले ही सीधा मुकाबला हो, लेकिन बसपा, आरएलपी, आम आदमी पार्टी सहित तमाम सियासी दल चुनावी मैदान उतरने से कई सीटों पर त्रिकोणीय लड़ाई दिख रही है. दो दर्जन से ज्यादा सीटें ऐसी मानी जा रही है, जहां बागियों के बाजी मारने की संभावना है, जिसका नुकसान दोनों ही दलों बीजेपी-कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है. ऐसे में माना जा रहा है कि दोनों ही दल चुनावी नतीजे से पहले ही गोलबंदी शुरू कर सकती है.