प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में हम सभी 140 करोड़ भारतीयों का संकल्प ही, इस नई संसद की प्राण-प्रतिष्ठा है। नया संसद भवन राष्ट्र को समर्पित करते हुए पीएम मोदी ने रविवार को कहा कि यहां होने वाला हर निर्णय, भारत के उज्ज्वल भविष्य का आधार बनेगा।
पीएम मोदी ने कहा, आज एक बार फिर पूरा विश्व, भारत को, भारत के संकल्प की दृढ़ता को, भारतीय जनशक्ति की जिजीविषा को, आदर और उम्मीद से देख रहा है। संसद का ये नया भवन, भारत के विकास से, विश्व के विकास का भी आह्वान करेगा। ये संसद देश की जिस समृद्ध संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है, उसका उद्घोष करती है- शेते निपद्य-मानस्य चराति चरतो भगः चरैवेति, चरैवेति-चरैवेति॥ कहने का तात्पर्य जो रुक जाता है, उसका भाग्य भी रुक जाता है। लेकिन जो चलता रहता है, उसी का भाग्य आगे बढ़ता है, बुलंदियों को छूता है। और इसलिए, चलते रहो, चलते रहो।
मुक्त मातृभूमि को नवीन मान चाहिए
आज़ादी का ये अमृतकाल अनंत सपनों, असंख्य आकांक्षाओं को पूरा करने का अमृतकाल है। इस अमृतकाल का आह्वान है- मुक्त मातृभूमि को नवीन मान चाहिए/ नवीन पर्व के लिए, नवीन प्राण चाहिए/ मुक्त गीत हो रहा, नवीन राग चाहिए/ नवीन पर्व के लिए, नवीन प्राण चाहिए।
पंचायत हो या संसद भवन, समान निष्ठा
ये नौ साल, भारत में नव निर्माण के रहे हैं, गरीब कल्याण के रहे हैं। आज हमें संसद की नई इमारत के निर्माण का गर्व है। हमने देश में 30 हजार से ज्यादा नए पंचायत भवन भी बनाए हैं। यानि, पंचायत भवन से लेकर संसद भवन तक, हमारी निष्ठा एक समान है। अगले 25 वर्षों में हमें मिलकर भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है।
नए संसद भवन के उद्घाटन को बताया गौरव का अवसर
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारत की संसद का हमारी सामूहिक चेतना में एक विशिष्ट स्थान है। राष्ट्रपति ने संसद को देश के लिए मार्गदर्शक प्रकाश करार देते हुए कहा कि नया संसद भवन हमारी लोकतांत्रिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का संदेश पढ़कर सुनाया।
अपने संदेश में राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, संसद हमारी समृद्ध लोकतांत्रिक परंपराओं का प्रकाश स्तंभ है। अपनी सहज लोकतांत्रिक जनभावना के बल पर हमारे देश ने जनभागीदारी का निरंतर विस्तार किया है। उन्होंने कहा कि इस बात का संतोष है कि नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं।
भावी चुनौतियों के बीच पथ-प्रदर्शक : धनखड़
उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि नया संसद भवन गुलामी की मानसिकता से आजादी का प्रतीक बनेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि नया भवन भविष्य की भावी चुनौतियों के बीच भारत का पथ प्रदर्शक बनेगा और साझा आकांक्षाओं को सार्थक तथा सशक्त दिशा देगा।
उन्होंने कहा कि मौजूदा संसद भवन आजादी मिलने से, आज दुनिया की एक बड़ी ताकत के रूप में भारत की पहचान बनने तक की ऐतिहासिक यात्रा का गवाह है। मुझे पूरा यकीन है कि इस अमृतकाल में बना नया संसद भवन आगे भी हमारी तेज प्रगति का साक्षी रहेगा। उपराष्ट्रपति ने कहा कि नई संसद गुलामी की मानसिकता से मुक्ति के हमारे राष्ट्रीय संकल्प का भी प्रतीक है।
भारतीय लोकतंत्र का ‘श्रद्धा स्थल’ : हरिवंश
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने नए संसद भवन के उद्घाटन को ऐतिहासिक और अविस्मरणीय क्षण करार दिया। उन्होंने कहा कि भवन सिर्फ ईंट-पत्थर और गारे का ढांचा नहीं है बल्कि भारत के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने का एक माध्यम है। नए संसद भवन में मौजूद लोगों का स्वागत करते हुए उपसभापति ने भवन को भारतीय लोकतंत्र का ‘श्रद्धा स्थल’ बताया।
कहा, आज का दिन गौरवशाली लोकतांत्रिक यात्रा में महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। अगले 25 साल में जब हम अपनी आजादी की शताब्दी मनाएंगे, यह नया संसद भवन अमृत काल में जनप्रतिनिधियों के लिए प्रेरणा स्रोत साबित होगा।
लोकतंत्र हमारे देश की बहुमूल्य विरासत : बिरला
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने लोकतंत्र को देश की बहुमूल्य विरासत बताते हुए कहा कि नया संसद भवन भारत के समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक विरासत का प्रतिबिंब है और नए विचारों को गति देगा।
समारोह में बिरला ने कहा, आजादी के अमृतकाल में पूरा देश इस ऐतिहासिक घटना का गवाह बन रहा है। ढाई साल से भी कम समय में यह भवन बनकर तैयार हुआ है, इसके लिए मैं पीएम को बधाई देना चाहता हूं। कोविड के मुश्किल दौर में भी निर्माण में लगे कामगार प्रतिबद्ध रहे।
चुनौतियों को अवसरों में बदलने की क्षमता
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि भारत को विश्व में लोकतंत्र की जननी माना जाता है। हमारे पारदर्शी और प्रभावी कार्य ने लोकतंत्र में लोगों के विश्वास को मजबूत किया है और लोगों की बड़ी भागीदारी इस तथ्य को और पुष्ट करती है। लोकतंत्र हमारे देश की बहुमूल्य विरासत है, हमारे वर्तमान और सुनहरे भविष्य की ताकत है। हमारी संसद में चुनौतियों को अवसरों में बदलने की क्षमता है। बिरला ने कहा कि सभी पार्टियों के सदस्यों ने नई संसद की आवश्यकता जताई थी। लोकसभा की कुर्सी के पास ‘सेंगोल’ स्थापित कर पीएम ने ऐतिहासिक विरासत और निष्पक्ष नेतृत्व के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है।
संसद भवन का सफर
12 फरवरी, 1921 : ड्यूक ऑफ कनॉट ने संसद भवन की आधारशिला रखी, जिसे उस समय काउंसिल हाउस कहा गया.
18 जनवरी, 1927 : तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन ने इसका उद्घाटन किया.
19 जनवरी, 1927 : केंद्रीय विधानसभा के तीसरे सत्र की पहली बैठक हुई.
9 दिसंबर, 1946 : संविधान सभा की पहली बैठक आयोजित की गई.
14/15 अगस्त, 1947 : संविधान सभा के मध्यरात्रि सत्र में सत्ता का हस्तांतरण.
13 मई, 1952 : दोनों सदनों की बैठक.
3 अगस्त, 1970 : राष्ट्रपति वीवी गिरी ने संसद एनेक्सी की आधारशिला रखी.
24 अक्टूबर, 1975 : तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने संसद एनेक्सी का उद्घाटन किया.
15 अगस्त, 1987 : तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने पुस्तकालय की आधारशिला रखी.
7 मई, 2002 : तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन ने संसद के पुस्तकालय भवन का उद्घाटन किया.
31 जुलाई, 2017 : पीएम नरेंद्र मोदी ने संसद एनेक्सी एक्सटेंशन का उद्घाटन किया.
10 दिसंबर, 2020 : पीएम नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन की आधारशिला रखी.
28 मई, 2023 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन का उद्घाटन किया.
लोकसभा कक्ष में 888 और राज्यसभा में 384 सदस्यों के बैठने की जगह है। संयुक्त बैठक के लिए लोकसभा कक्ष में 1,272 सदस्यों को बैठाया जा सकता है।
‘अखंड भारत’ का नक्शा
नए संसद भवन में लगाया गया ‘अखंड भारत’ (प्राचीन भारत) का नक्शा जमकर वायरल हो रहा है। दावा है कि यह नक्शा देश के संकल्प का प्रतिनिधित्व करता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इसे अपनी सांस्कृतिक अवधारणा के रूप में प्रस्तुत करता रहा है। इसमें पाकिस्तान स्थित तत्कालीन तक्षशिला समेत प्राचीन भारत के महत्वपूर्ण साम्राज्यों और शहरों को चिह्नित किया गया है। इस नक्शे को लेकर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, संकल्प स्पष्ट है- अखंड भारत।
-भाजपा की कर्नाटक इकाई ने नए संसद भवन में प्राचीन भारत, चाणक्य, सरदार वल्लभभाई पटेल, बीआर आंबेडकर और देश की सांस्कृतिक विविधता समेत अन्य कलाकृतियों की तस्वीरें साझा कीं।
-कर्नाटक भाजपा ने ट्वीट कर कहा, यह प्राचीन काल में हमारी शक्ति और आत्मनिर्भरता की तस्वीर दिखाता है।
-इस नक्शे पर ट्विटर पर कई लोगों ने खुशी जाहिर की है। उनका कहना है कि क्या इस वजह से विपक्ष ने समारोह का बहिष्कार कर दिया।
अफगानिस्तान से लेकर दक्षिण-पूर्वी एशिया तक था विस्तार
-नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट के महानिदेशक अद्वैत गदनायक ने कहा, प्राचीन भारत की सीमाएं उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में अफगानिस्तान से लेकर दक्षिण-पूर्वी एशिया तक फैली थीं।
-आरएसएस के अनुसार, प्राचीन भारत का भौगोलिक विस्तार अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड तक था।
संसद बनी सभी धर्मों का संगम...दिखी विविधता में एकता
देश के नए संसद भवन के उद्घाटन पर संसद परिसर में सर्व-धर्म प्रार्थना भी हुई, इसमें धार्मिक नेताओं ने विभिन्न भाषाओं में प्रार्थना की। धार्मिक नेताओं ने उद्घाटन के अवसर को ऐतिहासिक क्षण बताते हुए कहा कि नई संसद विविधता में एकता को दर्शाती है। यह समारोह अनेकता में एकता का प्रतीक रहा।
हिमालय बुद्धिस्ट कल्चरल एसोसिएशन के अध्यक्ष लामा चोस्फेल जोतपा ने कहा कि सभी को एकजुट होकर देश के विकास के लिए काम करना चाहिए और राजनीति को किनारे रखना चाहिए। लामा चोस्फेल जोत्पा ने बौद्ध रीति-रिवाजों के अनुसार पूजा की। वहीं, प्रार्थना में भाग लेने वाले यहूदी रब्बी ईजेकील इसहाक मालेकर ने कहा, आज हमने विविधता में एकता का संदेश दिया है।
जैन पुजारी आचार्य लोकेश मुनि ने कहा कि आज नई संसद में राजदंड के साथ ‘धर्मदंड’ भी स्थापित किया गया। वहीं, सिख धार्मिक नेता बलबीर सिंह ने कहा, देश के विकास के लिए सभी को एकजुट होकर काम करना चाहिए।
षटकोणीय संसद शक्ति और स्थायित्व का प्रतीक
नई संसद का आकार षटकोणीय है, जो शक्ति और स्थायित्व का प्रतीक है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष व काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के सदस्य चंद्रमौलि उपाध्याय ने बताया कि देश में हजारों साल पहले मंदिरों के निर्माण त्रिकोणीय, षटकोणीय या अष्टकोणीय होते थे। इनमें से अनगिनत मंदिर अब भी अस्तित्व में हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ऐसे स्थानों पर साधना करने से दुर्भावनाओं को दूर करने के साथ शक्ति का संचार होता है। यही वजह थी कि पुराने वक्त में इन्हीं स्थानों पर जाकर शक्ति की आराधाना की जाती थी। संसद भी एक तरह से मंदिर ही है। लोकतंत्र के इस मंदिर की आकृति के पीछे भी मंशा देश की शक्ति बढ़ाने और चिरकाल तक संसद के अक्षुण रखने की है।