Sunday, 07 May 2023 00:00
AWAZ PLUS MEDIA HOUSE
कार और बाइक मॉडिफाई कराने वालों पर अब परिवहन विभाग भी शिकंजा कसने की तैयारी कर रहा। इसके लिए मोटर वाहन अधिनियम में नियम बनाए गए हैं जिनका उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना या जेल तक हो सकती है।
देहरादून। कुछ अलग दिखने की चाह या स्टंटबाजी को लेकर कार और बाइक मॉडिफाई कराने वालों पर अब परिवहन विभाग भी शिकंजा कसने की तैयारी कर रहा। आरटीओ (प्रवर्तन) शैलेश तिवारी ने बताया कि वाहन के मूल डिजाइन और लुक में बदलाव कराना अवैध है।
इसके लिए मोटर वाहन अधिनियम में नियम बनाए गए हैं, जिनका उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना या जेल तक हो सकती है। दून निवासी बाइकर की अलीगढ़ में यमुना एक्सप्रेस-वे पर दुर्घटना में हुई मृत्यु के बाद पुलिस, यातायात पुलिस से लेकर परिवहन विभाग तक कठघरे में है।
इंटरनेट मीडिया में स्टंटबाज बाइकर्स व कार सवारों का चलन बढ़ा
देहरादून शहर में स्टंटबाजी का सिलसिला यूं तो वर्षों से चला आ रहा, लेकिन पुलिस या परिवहन विभाग इस पर नियंत्रण में कभी सफल नहीं हो पाए। इंटरनेट मीडिया के वक्त में स्टंटबाज बाइकर्स व कार सवारों का चलन और तेजी से बढ़ा है। वाहनों को मोडिफाई कराकर यह बेधड़क सड़क पर दौड़ रहे, जबकि वाहन में हर तरह की मोडिफिकेशन को अवैध माना जाता है।
हालांकि, कुछ ऐसे बदलाव जरूर हैं, जो कराए जा सकते हैं, लेकिन उसके लिए भी परिवहन विभाग से अनुमति लेना जरूरी है। बदलाव के बाद वाहन के पंजीकरण प्रमाण-पत्र (आरसी) में इनका उल्लेख भी किया जाता है। आरटीओ शैलेश तिवारी ने बताया कि मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के सेक्शन-52 के तहत नियम है कि मोटर वाहन का कोई भी मालिक वाहन को इस तरह नहीं बदलेगा कि पंजीकरण प्रमाण-पत्र में लिखी मूल जानकारी से अलग हो।
आरटीओ ने बताया कि अगले हफ्ते से विशेष अभियान चलाकर मॉडिफाई किए गए वाहनों को सीज करने की कार्रवाई की जाएगी। खतरनाक वाहन संचालन करने वाले चालकों के विरुद्ध एफआइआर भी दर्ज कराई जाएगी।
मॉडिफिकेशन कराने से पहले रखें ध्यान
- मोटन वाहन अधिनियम-1988 के अनुसार भारत में लगभग सभी कारों और बाइक को मॉडिफाई करना अपराध है।
- यदि वाहन के लुक में किसी भी तरह का कोई बड़ा बदलाव किया जाता है, जिसमें उसका डिजाइन या लुक निर्माता द्वारा बनाए मूल डिजाइन से अलग दिखाई देगा, तो उसमें वाहन मालिक को दोषी ठहराया जा सकता है।
- उदाहरण के लिए बंपर या फेंडर को पूरी तरह से बदलना, लाइट बदलना, साइलेंसर बदलना आदि जैसे छोटे लगने वाले मोडिफिकेशन भी गैर-कानूनी हैं।
- कार या बाइक की पूरी किट को बदलने पर तो अपराध और बढ़ जाता है।
- इसके अलावा कार की खिड़कियों पर काले शीशे की फिल्म (टिनिंग) करने से भी बचना चाहिए।
- नियम कहता है कि पिछली विंडस्क्रीन में 75 प्रतिशत विजुअलिटी और विंडो के लिए 50 प्रतिशत विजुअलिटी होनी चाहिए।
- शोर मचाने वाले साइलेंसर पर भी प्रतिबंध है।
- वाहन का रंग बदलना सबसे बड़ा अपराध है।
- यदि आप ऐसा करते भी हैं, तो आपको उससे पहले आरटीओ से अनुमति लेनी होगी और उस रंग को अपनी आरसी में भी बदलना होगा।