Wednesday, 18 October 2023 00:00
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लोकसभा चुनाव 2024 में कैसे उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों पर पार्टी को मजबूत किया जाए, इसके लिए बीजेपी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है. पार्टी की कोशिश है कि चुनाव तक हर वर्ग में पैठ बैठाई जा सके. हर समाज के लोगों को साथ लाया जा सके.
2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी यूपी में अपने मिशन-80 के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती. प्रदेश में दूसरे सबसे बड़े ओबीसी कम्युनिटी कुर्मी समाज को अपने साथ जोड़ने के लिए पार्टी विशेष अभियान चलाने जा रही है. योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री और सीएम के करीबी कुर्मी नेता स्वतंत्र देव सिंह को इसकी कमान सौंपी गई है. जबकि सहयोगी के तौर पर मंत्री राकेश सचान, संजय गंगवार, विधायक प्रभात वर्मा, MLC अवनीश सिंह रहेंगे.
सरदार पटेल बौद्धिक विचार मंच के जरिये बीजेपी समाज के बुद्धिजीवियों और युवाओं में पैठ बनाना चाहती है. कुर्मी समाज के क्रीमी लेयर जैसे सेवानिवृत्त अधिकारी, डॉक्टर, वकील, शिक्षक इनपर विशेष ध्यान देने की योजना है.
बीजेपी करेगी दो बड़े सम्मेलन
वहीं आने वाले कुछ दिनों में बीजेपी दो बड़े सम्मेलन करने जा रही है. इसके पहले लखनऊ के गन्ना संस्थान में कुर्मी समाज के प्रतिभाशाली लोगों का पार्टी द्वारा सम्मान किया जा चुका है. जिसमें कुर्मी समाज के क़रीब 50 प्रतिभावान लोगों को सम्मानित किया गया. ये प्रतिभाएं अलग-अलग क्षेत्रों से थीं.
कुर्मी समाज के लोगों का पहला बड़ा सम्मेलन पांच राज्यों के चुनाव के बाद दिसंबर के तीसरे हफ्ते में इंदिरा गांधी शांति प्रतिष्ठान में होना है. क़रीब तीन से पांच हज़ार बुद्धिजीवियों को इस सम्मेलन में आमंत्रित किया जाएगा. इस सम्मेलन में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के भी शामिल होने की संभावना है. सीएम योगी और स्वतंत्र देव सिंह की उपस्थिति में कुर्मी समाज के बौद्धिक वर्ग को न सिर्फ बीजेपी से जोड़ने की कोशिश होगी बल्कि उनके समाज में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को सम्मानित भी किया जाएगा.
कुर्मी समाज का सबसे बड़ा सम्मेलन
लोकसभा चुनाव से पहले जनवरी में तीसरा और सबसे कुर्मी समाज का सबसे बड़ा सम्मेलन प्रस्तावित है. इस सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और सीएम योगी की मौजूदगी में कुर्मी समाज को बीजेपी की रीति-नीति से जोड़ने का अंतिम प्रयास होगा.
कुर्मी वोट बैंक के कई दावेदार
कुर्मी समाज 2014 से ही बीजेपी के साथ रहा है. बावजूद इसके पार्टी किसी भी तरह के रिस्क से बचना चाहती है. कारण साफ है कि सपा और अपना दल कमेरावादी दोनों कुर्मी समाज मे सेंध लगाने की जुगत में हैं. बीजेपी की ये आशंका इसलिए भी वाजिब लगती है क्योंकि मोदी-योगी के आंधी में भी अपनादल (अनुप्रिया गुट) के सहयोग के बावजूद पल्लवी पटेल सिराथू से डिप्टी सीएम केशव मौर्या को हराने में कामयाब रही थीं.
कुर्मी समाज को जोड़ने की रणनीति
बीजेपी अपने पूर्व के अनुभव से अब रणनीति बदलकर खुद ही कुर्मी समाज को जोड़ने की रणनीति पर काम कर रही है. ये काम पहले बीजेपी ने अघोषित रूप से अपना दल (अनुप्रिया गुट) को सौंप रखा था. दूसरी तरफ सपा ने भी कुर्मी समाज के नेताओं के जरिये सेंध लगाने की कोशिश में है. प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल, पूर्व समाजवादी नेता स्वर्गीय बेनी प्रसाद वर्मा के बेटे राकेश वर्मा, लालजी वर्मा और आशुतोष वर्मा जैसे बड़े कुर्मी नेता समाज में सक्रिय हैं.