आज हम अपने विशेष रिपोर्ट में एक ऐसे डॉक्टर का पर्दाफाश कर रहे है, जो चंद रुपयों के लिए मरीज के जीवन के खिलवाड़ करने से कोई कसर नहीं छोड़ते, जी हां बात कर रहे हैं डॉक्टर के के गुप्ता की जोकि लखनऊ जिला में सीतापुर रोड स्थित मड़ियाव क्षेत्र में विद्या हॉस्पिटल एवं ट्रामा सेंटर नामक हॉस्पिटल को संचालित करते हैं। आवाज प्लस द्वारा अपनी पड़ताल में यह हॉस्पिटल जीवनदान देने के वजाय परलोक भेजने का एक मात्र स्थान बन कर रह गया है।
इसी कड़ी में एक नाम प्रकाश में आया है अलीगंज, लखनऊ निवासी शिव कैलाश तिवारी का, जो कि अपने स्पाइन की शिकायत को लेकर अपने नजदीकी हॉस्पिटल विद्या हॉस्पिटल एंड ट्रामा सेंटर में डॉक्टर के के गुप्ता से संपर्क किया। जहां पर डॉक्टर के के गुप्ता द्वारा कैलाश तिवारी और उनके परिजन को बताया कि गर्दन के नीचे के हिस्से में छोटा ऑपरेशन करके 15 से 20 दिन में प्रार्थी के पिता का इलाज करके पुराने जैसे ठीक कर देंगे जिससे वो चलने फिरने लगेगे।
डॉक्टर के के गुप्ता के आश्वासन पर कैलाश तिवारी भरोसा करते हुए विद्या हॉस्पिटल एंड ट्रामा सेंटर में 4 मई 2018 को भर्ती हो गए। प्रारंभिक जांच में शुगर की मात्रा 370, जो कि किसी भी सर्जरी के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है, लेकिन डॉक्टर के के गुप्ता द्वारा जांच रिपोर्ट में शुगर की मात्रा को नजरअंदाज करते हुए आनन-फानन में कैलाश तिवारी का सर्जरी कर दी जाती है।
सर्जरी उपरांत जब मरीज कैलाश तिवारी को ऑपरेशन थियेटर से वार्ड में शिफ्ट किया गया, तो उनके परिजन हैरान हो गए क्योंकि डॉक्टर गुप्ता ने गर्दन के नीचे की ऑपरेशन न करते हुए कमर का ऑपरेशन कर दिया था.... यह देख मरीज कैलाश तिवारी के परिजन ने डॉक्टर के के गुप्ता से संपर्क किया, तो डॉक्टर साहब ने बताया कि यदि ऑपरेशन गर्दन का किया जाता, तो मरीज कोमा में जा सकते थे।
इसके उपरान्त विद्या हॉस्पिटल एवं ट्रामा सेंटर में 8 दिन भर्ती रहने के पश्चात भी कैलाश तिवारी की हालत सुधार होने की वजाय और अधिक खराब हो गया। कैलाश तिवारी का स्वास्थ विगड़ते देख आनन फानन में डॉक्टर गुप्ता ने कैलाश तिवारी को डिस्चार्ज कर घर भेज दिया। इस दौरान कैलाश तिवारी के परिजन ने लगभग तीन लाख रूपया भी जमा कराया, जिसकी कोई रसीद व जॉच रिपोर्ट बार वार मांगने के उपरान्त नहीं दिया गया।
कैलाश तिवारी का स्वास्थ दिन प्रति दिन गिरता देखकर परिजन द्वारा डॉक्टर के. के. गुप्ता से बार बार सम्पर्क करने के बाद भी डॉक्टर साहब द्वारा न तो किसी प्रकार का कोई सुझाव नहीं दिया गया और न ही फोन भी रिसीव नहीं किया जा रहा था। बार बार विद्या हॉस्पिटल एवं ट्रामा सेंटर में कैलाश तिवारी के परिजन ने सम्पर्क करना चाहा, तो विद्या हॉस्पिटल एवं ट्रामा सेंटर में डॉक्टर के. के. गुप्ता ने मिलने से इंकार कर दिया।
इलाज के दौरान लाखों रूपया लूटने के उपरान्त डॉक्टर के. के. गुप्ता का मरीज के प्रति इस प्रकार का व्यवहार देखते हुए कैलाश तिवारी के परिजन ने कई अलग अलग अस्पतालों में दिखवाया, जो लगभग सभी अस्पतालों ने लगभग एक ही जबाब दिया कि डॉक्टर के. के. गुप्ता द्वारा अत्याधिक शुगर मात्रा में किया गया ऑपरेशन बिलकुल गलत था। इस दौरान कैलाश तिवारी का हालत बहुत ज्यादा गंभीर होता गया, जिसके फलस्वरूप 15 मार्च 2019 को कैलाश तिवारी का स्वर्गवास हो गया। यदि विद्या हॉस्पिटल एवं ट्रामा सेंटर के इतिहास में जाए तो अनगिनत मरीज इस हॉस्पिटल में इलाज कराने के दौरान अपनी जान गवा बैठे हैं।
बताते चले कि आवास एवं विकास परिषद में कार्य करने वाले कैलाश तिवारी एक मात्र अपने परिवार के रोजी रोटी के सहारा थे। कैलाश तिवारी अपने पीछे तीन तीन पुत्री के साथ - साथ एक पुत्र व अपने पत्नी को छोड़ गयें।
चूंकि डॉक्टर के. के. गुप्ता द्वारा किया कृत्य आचरण विनियम 7.2 व 7.18 (चैप्टर 7) के अन्तगर्त निन्दनीय व दण्डनीय अपराध है के साथ - साथ डॉक्टर के. के. गुप्ता के लापरवाई के कारण अपनी जान गवां बैठे कैलाश तिवारी की तरह कोई और व्यक्ति अपनी जान न गवां बैठे, इस कारण कैलाश तिवारी के सुपुत्र अमर कुमार तिवारी ने डॉक्टर के. के. गुप्ता के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने का फैसला करते हुए स्थानीय थाना में शिकायत पत्र देते हुए प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करना चाहा, लेकिन डॉक्टर के. के. गुप्ता के रसूख को देते हुए थाना प्रभारी ने मुकदमा दर्ज करने से इंकार कर दिया जाता है।
इसके उपरान्त कैलाश तिवारी के सुपुत्र अमर कुमार तिवारी ने मान्नीय न्यायालय की शरण में जाकर 156 तीन के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई। इसके अतिरिक्त मान्नीय न्यायालय, भारतीय चिकित्सा परिषद, चिकित्सा, स्वास्थ एवं परिवार कल्याण को भी शिकायत पत्र देकर न्याय की गहार लगाई, लेकिन मान्नीय न्यायालय के आदेश के वावजूद डॉक्टर के. के. गुप्ता के रसूख के आगे सभी नतमस्तक होने के कारण पुलिस द्वारा न तो कोई कारवाई की गई न ही सम्बन्धित विभाग द्वारा कोई कारवाई की गई है।
हालत यह यह है कि कैलाश तिवारी का परिवार का दिन प्रति दिन आर्थिक हालत दयनीय होता जा रहा है, इंसाफ के लिए दर दर भटक रहा है। खबर प्रकाशित होने तक लगभग एक वर्ष से अधिक समय व्यतीत होने के बाद भी कैलाश तिवारी का परिवार को न्याय मिलने की प्रतीक्षा कर रहा है, उधर सूत्रों का माने तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी का पूर्ण संरक्षण डॉक्टर के. के. गुप्ता को प्राप्त है, और इसी संरक्षण की आड़ में मौत देने का कारखाना चलाते हुए कैलाश तिवारी के परिजन की तरह अन्य मरीजों के परिजनों को लूटने में लगा हुआ है।