Wednesday, 27 September 2023 00:00
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सबसे अहम सवाल कि यदि मेसर्स अट्रैक्टिव निर्माण प्राइवेट लिमिटेड को मुंशी पुलिया खंड के अमराई बिजली घर से 3500 किलोवाट का संयोजन अमराई बिजली घर से देना ही था, तो जॉच का दिखावा क्यों किया गया? हैरानी इस बात की भी है कि वर्तमान समय संयोजन देने की तैयारी की जानकारी न ही सम्बन्धित अधिशाषी अभियन्ता को है, न ही सम्बन्धित उपखण्ड अधिकारी को है और न ही सम्बन्धित पावर हाउस के अवर अभियन्ता को ही है, ऐसे में किसी भी अप्रिय घटना यदि होती है, तो उपरोक्त सम्बन्धित अधिकारीयों को कैसे जिम्मेदार माना जायेगा ?
लखनऊ। मेसर्स अट्रैक्टिव निर्माण प्राइवेट लिमिटेड को मुंशी पुलिया खंड के अमराई बिजली घर से 3500 किलोवाट लोड आवंटन की जांच ठंडे बस्ते से तो निकली नहीं, लेकिन मौका देखकर मध्यांचल के दो ताकतवर अधिकारीयों को गिफ्ट में मिला दो बिला फ्लैट के चाबी का फर्ज अदा करते हुए संयोजन देने की तैयारी लगभग पूरी कर ली गई, कभी भी यह सूचना आ सकती है कि मेसर्स अट्रैक्टिव निर्माण प्राइवेट लिमिटेड को संयोजन दिया जा चुका है और इसके साथ ही दो बिला फ्लैट के चाबी का रहस्य हमेशा के लिए दफन हो जायेगा और दफन हो जायेगा अट्रैक्टिव निर्माण प्राइवेट लिमिटेड एवं मध्यांचल विधुत वितरण निगम का गठजोड़ का सच।
विदित है कि इंजीनियरों के गठजोड़ ने बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों को ताक पर रखते हुए पांच हजार उपभोक्ताओं का हक मारकर चिनहट खंड के अभियंताओं ने मेसर्स अट्रैक्टिव निर्माण प्राइवेट लिमिटेड को मुंशी पुलिया खंड के सिंगल केबिल पर बना अमराई बिजली घर से 3500 किलोवाट कनेक्शन के लिए टेक्निकल फिजीबिलटी (टीएफआर) रिपोर्ट दे दी। क्योंकि रिपोर्ट के आधार पर 75 किलोवाट से ऊपर का संयोजन मुख्य अभियन्ता को करना होता है, ऐसे में ट्रांस गोमती के मुख्य अभियंता अनिल तिवारी ने रिपोर्ट के आधार पर 3500 किलोवाट का लोड आनन फानन में जारी कर दिया, यह सभी कारनामें इतना गोपनीय तरीके से हुआ कि सम्बन्धित उपखण्ड अधिकारी अथवा अवर अभियन्ता को भी इसकी जानकारी तब हुई, जब इसका केबल अंडरग्राउड से निकल कर उपरोक्त पावर हाउस के बाहर आया।
इसके उपरान्त मुंशी पुलिया खंड के सेक्टर 14 न्यू के उपखंड अधिकारी द्वारा 27 दिसंबर 2022 को अपने अधिकारी अधिशाषी अभियन्ता को दी। जानकारी मिलने पर मुंशी पुलिया खंड के तत्कालीन अधिशाषी अभियन्ता इंजीनियर रितेश आनंद द्वारा अपने सर्किल नौ के अधीक्षण अभियंता को 28 दिसंबर को पत्र लिखकर पूरी प्रकिया पर आपत्ति भी जताई है और सवाल खड़े किए हैं? अधिशासी अभियंता रितेश ने पूछा था कि किस आधार पर चिनहट खंड के तत्कालीन अधिशासी अभियंता अखिलेश ने बिना पूछे उनके खंड के बिजली घर से इतना भारी भरकम कनेक्शन जोड़ने का कार्य किया जा रहा है, जबकि बिजली धर में दस एमवीए के पावर ट्रांसफार्मर लगे हैं, जिससे जरहरा और अमराई गांव फीडर पहले ही पूरी क्षमता से चल रहा था। बताते चले कि उपरोक्त दस एमवीए के पावर ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल कुल क्षमता का 80 प्रतिशत तक ही किया जा सकता है।
इस सन्दर्भ में ट्रांसगोमती के मुख्य अभियंता अनिल तिवारी पहले ही बता चुके है कि बिजली विभाग बंटा नहीं है। ऐसे में कहीं से कोई कनेक्शन दिया जा सकता है। फिलहाल अमराई बिजली घर से कनेक्शन सोच समझकर दिया गया है। वर्तमान में अमराई बिजली घर ओवर लोडेड नहीं है, उसमें गुंजाइश थी, इसलिए वहां से दिया गया है। जबकि मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निदेशक वाणिज्य योगेश कुमार भी पहले ही जानकारी दे चुके है कि हर अधिशासी अभियंता का क्षेत्र बंटा हुआ है। कोई किसी के क्षेत्र में हस्तक्षेप कैसे कर सकता है? अगर दूसरे अधिशासी अभियंता ने टीएफआर लगा दी तो यह गलत है, उस मामले को दिखवाया जाएगा और मामले की जांच की जाएगी।
लगभग एक वर्ष के उपरान्त जॉच का दिखावा कर गुपचुप तरीके से अब 3500 किलोवाट का लोड का संयोजन अमराई बिजली घर से देने की जोर शोर से तैयारी चल रही है, इस सब के बीच सबसे अहम सवाल कि यदि मेसर्स अट्रैक्टिव निर्माण प्राइवेट लिमिटेड को मुंशी पुलिया खंड के अमराई बिजली घर से 3500 किलोवाट का संयोजन अमराई बिजली घर से देना ही था, तो जॉच का दिखावा क्यों किया गया?, क्यों एक साल तक मामला शान्त होने का दिखावा क्यों किया गया?, इस संयोजन के उपरान्त सिंगल केबिल पर बना अमराई पावर हाउस में किसी भी प्रकार विधुत आपूर्ति में बाधा आती है, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?
हैरानी इस बात की भी है कि वर्तमान समय संयोजन देने की तैयारी की जानकारी न ही सम्बन्धित अधिशाषी अभियन्ता को है, न ही सम्बन्धित उपखण्ड अधिकारी को है और न ही सम्बन्धित पावर हाउस के अवर अभियन्ता को ही है, ऐसे में किसी भी अप्रिय घटना यदि होती है, तो उपरोक्त सम्बन्धित अधिकारीयों को कैसे जिम्मेदार माना जायेगा ?