Saturday, 05 August 2023 00:00
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पं. दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो-अनुसंधान संस्थान (दुवासु) के बकरे की हिमीकृत वीर्य उत्पादन इकाई (फ्रोजन सीमन बैंक सेंटर) ने बकरियों के दुग्ध उत्पादन और नस्ल सुधार में देशभर में अपनी पहचान बना ली है। यहां पर स्विट्जरलैंड की सानन और साउथ अफ्रीका के बोयर ब्रीड के बकरों के सीमेन की डोज की डिमांड अचानक बढ़ गई है। देश के एक दर्जन से अधिक प्रदेशों से इसकी मांग आ रही है।
अनुसंधान संस्थान में 13 जनवरी 2020 को बकरी की हिमीकृत वीर्य उत्पादन इकाई की शुरुआत की गयी थी। लेकिन, कोविड के चलते दो साल तक इसमें कुछ खास नहीं हो सका। हालांकि इसके लिए दुनिया भर में दुग्ध उत्पादन के लिए नंबर एक स्विट्जरलैंड की सानन ब्रीड और सबसे ज्यादा ग्रोथ रेट के लिए विख्यात साउथ अफ्रीका की बोयर ब्रीड के बकरे मंगा लिए गए थे। हालात सामान्य होने पर कुलपति प्रो. एके श्रीवास्तव के निर्देशन में देशी मिक्स ब्रीड की बकरियों की नस्ल सुधार पर प्रयोग हुए। इसके लिए देसी बरबरी, जमुनापारी, सिरोही, बीटल, झकराना, उस्मानाबादी, गंजम, ब्लैक बंगाल ब्रीड की बकरियों से सीमेन तैयार किया गया।
इस सीमेन का असर एक साल में ही नजर आने लगा। अब तो हालत ये है कि देशभर से तीन लाख डोज प्रतिवर्ष की डिमांड आ रही है। सरकारी ही नहीं निजी क्षेत्र में ब्रीड की डिमांड बढ़ने से इस सीमेन बैंक की देशभर में अलग पहचान बनी है। बकरी पालन में जुटे किसानों की आय में भी इससे इजाफा हुआ है। बकरियों में नस्ल सुधार के साथ प्रजनन क्षमता भी बढ़ी है। बैंक में तैयार हो रहे सीमेन की एक डोज की कीमत 25 रुपये से 40 रुपये तक है।
10 लाख डोज उत्पादन की क्षमता
दुवासु की बकरी की हिमीकृत वीर्य उत्पादन इकाई द्वारा वर्तमान में डिमांड के हिसाब से तीन लाख डोज प्रतिवर्ष तैयार की जा रही हैं, जबकि इस इकाई की क्षमता 10 लाख डोज प्रतिवर्ष तैयार करने की है। यही वजह है कि वेटरनरी में इसे मॉडल प्रोजेक्ट के रूप में देखा जा रहा है। पूर्व में उत्तर प्रदेश से डिमांड कम आ रही थी, लेकिन अब इस प्रदेश में भी डिमांड बढ़ी है।
इन प्रदेशों से आ रही है डिमांड
बकरियों की नस्ल सुधार के लिए उड़ीसा, वेस्ट बंगाल, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र से सबसे ज्यादा डिमांड आ रही है। इनके अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान डिमांड आ रही है। यहां किसान और पशुपालकों में बकरी पालन से आय में दोगुनी बढ़ोत्तरी की उम्मीद जगी है। यही वजह है कि बकरी पालन को तेजी से अपनाया जा रहा है।
नस्ल सुधार के ये होंगे फायदे
दुवासु की सीमन बैंक में तैयार हो रहे सीमेन से बकरियों में नस्ल सुधार पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ता जाएगा। इसके प्रयोग से जहां बकरियों में अधिक बच्चे पैदा करने की क्षमता में इजाफा होगा, वहीं उनकी मृत्यु दर में भी कमी आएगी। दुग्ध उत्पादन के साथ-साथ ग्रोथ रेट में तेजी से इजाफा होगा। ऐसा, शुरुआती दौर में किए गए प्रयोगों से साबित भी हुआ है।
मथुरा के प्रभारी बकरी की हिमकृत वीर्य उत्पादन इकाई (दुवासु), डॉ. मुकुल आनंद ने कहा कि दुवासु की हिमीकृत वीर्य उत्पादन इकाई द्वारा तैयार किए जा रहे सीमेन से नस्ल सुधार में काफी इजाफा हुआ है। किसान और पशुपालक भी इससे खुश हैं। यही वजह है कि सीमेन की डिमांड निरंतर बढ़ रही है। नस्ल सुधार और कृत्रिम गर्भाधान के लिए पशुपालकों व किसानों को निरंतर जागरूक किया जा रहा है। इस समय प्रतिवर्ष तीन लाख डोज तक की डिमांड आ रही है।