Thursday, 16 November 2023 00:00
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नासा-ISRO ने निसार पर काम लगभग पूरा कर लिया है, अब ये मिशन परीक्षण के दौर पर है. माना जा रहा है कि 2024 की पहली तिमाही में इसे लांच कर दिया जाएगा जो धरती पर आने वाली हर आपदा का पहले ही संकेत दे देगा. नासा जेपीएल की निदेशक लॉरी लेशन ने इसकी जानकारी दी है. उन्होंने बताया है कि यह मिशन दोनों ही देशों के लिए बहुत खास है.
NASA और ISRO मिलकर सिंथेटिक एपर्चर रडार (NISAR) लॉन्च करने की तैयारी कर रहे हैं, यह मिशन 2024 में लॉन्च होगा जो धरती की निगरानी करेगा और पर्यावरण में हो रहे बदलावों का अध्ययन करेगा और भूकंप व अन्य आपदाओं की जानकारी देगा. फिलहाल मिशन का परीक्षण किया जा रहा है, हाल ही में इसमें 20 दिवसीय एंटीना परीक्षण पूरा किया गया है. मंगलवार को इस बात का खुलासा खुद नासा की जेट प्रोपल्शन लैब की निदेशक लॉरी लेशन ने दी.
नासा जेपीएल की निदेशक लॉरी लेशन के मुताबिक NISAR 2024 में लांच किया जाना है, इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO और NASA ने संयुक्त रूप से तैयार किया है जो धरती का अध्ययन करेगा. ऐसा पहली बार होगा जब दोनों देश औपचारिक रूप से एक-दूसरे के साथ इतने बड़े मिशन पर काम कर रहे हैं. बताया जाता है कि यह मिशन 2024 की पहली तिमाही में लांच हो जाएगा, जिसकी अवधि तकरीबन तीन माह होगी.
क्या है NISAR
NISAR एक रडार मशीन है जो धरती की सतह की निगरानी करेगा. ताकि ये पता चल सके कि आखिर धरती की सतह में किस तरह के बदलाव हो रहे हैं. दरअसल भारत और अमेरिका की स्पेस एजेंसियां ये समझना चाहती हैं कि आखिर पर्यावरण कैसे बदल रहा है. लॉरी लेशन के मुताबिक इससे यह जानने में मदद मिलेगी की समुद्री तटों पर मैंग्रोव पर्यावरण कैसे बदल रहा है. यानी बर्फ की चादरें कैसे बदल रही हैं और पूरी दुनिया में भूकंप और ज्वालामुखी कैसे काम कर रहे हैं. निसार सैटेलाइट 2600 किलो वजनी होगा. जो दुनिया भर के मौसम की भविष्यवाणी करेगा. यह पहले ही बता देगा कि किस एरिया में भूकंप आने वाला है, सुनामी आने वाली है या भूस्खलन होने वाला है.
2024 में श्रीहरिकोटा से होगा लॉन्च
नासा और इसरो का यह मिशन लो अर्थ ऑर्बिट तक जाएगा. इसे 2024 के शुरुआत की पहली तिमाही में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लांच किया जाएगा. फिलहाल इसका परीक्षण चल रहा है. लॉरी लेशन के मुताबिक इसे GSLV यानी जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लांच व्हीकल मार्क-II से लांच किया जाएगा. यह मिशन तीन साल का होगा जो हर 12 दिन में धरती की बर्फ से ढकी सतह का अध्ययन करेगा.
उत्साहित हैं वैज्ञानिक
नासा जेपीएल की निदेशक लॉरी लेशन के मुताबिक बेंगलुरु में नासा और इसरो के सहयोगियों ने एक साथ मिलकर काम किया यह बहुत ही रोमांचक अनुभव रहा. इस दौरान दोनों ही देशों के वैज्ञानिक ने एक-दूसरे का भरपूर सहयोग किया, एक अच्छे टीम वर्क के साथ दोनों देशों के वैज्ञानिकों ने एक-दूसरे से काफी कुछ सीखा. लेशन ने दावा किया कि निसार के बाद नासा और इसरो मंगल और मून मिशन में भी काम करने के लिए उत्सुक हैं.