Friday, 17 November 2023 00:00
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मध्य प्रदेश में सीटों के बंटवारे को लेकर इंडिया गठबंधन में कलह इतनी बढ़ी कि कांग्रेस और सपा ने एक-दूसरे की खूब बखिया उधेड़ी. सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और कमलनाथ ने एक-दूसरे को क्या कुछ नहीं कहा. हालांकि ये माना जा रहा था कि इस बहस के बाद भी दोनों दलों में सब ठीक हो जाएगा, लेकिन अखिलेश यादव के तेवर देख ऐसा लग नहीं रहा.
क्या समाजवादी पार्टी इंडिया गठबंधन से बाहर आ सकती है! हालात तो ऐसे ही बनते जा रहे हैं. एमपी में सीटों कें बंटवारे पर कलह शुरू हुआ था. इसके बाद चुनाव प्रचार में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने एक दूसरे की खूब बखिया उधेड़ी. अखिलेश यादव और कमलनाथ ने क्या-क्या न कहा. अखिलेश यादव ने तो कांग्रेस और बीजेपी को एक जैसा बता दिया. एमपी के चुनाव में अखिलेश यादव और उनकी सांसद पत्नी डिंपल यादव ने धुआंधार चुनाव प्रचार किया. समाजवादी पार्टी ने 72 सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए.
चुनाव प्रचार खत्म कर अखिलेश यादव लखनऊ पहुंच चुके हैं. इसके बाद उन्होंने अपने करीबी नेताओं की बैठक बुलाई. इस मीटिंग में उन्होंने न्यूज एंकरों के बॉयकॉट के फैसले को वापस लेने की घोषणा की. बैठक में मौजूद एक नेता ने बताया कि अखिलेश यादव कांग्रेस की मनमानी से नाराज हैं. उन्होंने कहा कि कुछ पत्रकारों के बहिष्कार का फैसला इंडिया गठबंधन का था. कांग्रेस की पहल पर ये फैसला हुआ था.
गठबंधन की एकता के लिए तैयार हुई थी सपा
समाजवादी पार्टी तब इसके पक्ष में नहीं थी. लेकिन गठबंधन की एकता के लिए पार्टी तैयार हो गई. कांग्रेस पार्टी तो कुछ और एंकरों का बॉयकॉट करना चाहती थी. लेकिन फिर कुछ सहयोगी दलों के दवाब में ऐसा नहीं हो पाया. दिल्ली में इंडिया गठबंधन की कोआर्डिनेशन कमेटी की बैठक के बाद कांग्रेस के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल ने न्यूज एंकरों के बॉयकॉट के फैसले का एलान किया था. जिसकी सिफारिश गठबंधन की मीडिया कमेटी की तरफ से की गई थी.
कांग्रेस नेताओं ने फैसले को तोड़ा
समाजवादी पार्टी का कहना है कि कांग्रेस के नेताओं ने ही इस फैसले को तोड़ा. ऐसे में हम क्या करते. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर एमपी के पूर्व सीएम कमलनाथ ने इस फ़ैसले के नहीं माना. दोनों नेताओं ने बॉयकॉट किए गए एंकरों को इंटरव्यू दिए. कांग्रेस नेतृत्व ने इनसे जवाब तक नहीं माँगा. इसीलिए हमने भी तय किया है कि हम किसी पत्रकार का बहिष्कार नहीं करेंगे. समाजवादी पार्टी के इस फ़ैसले के कांग्रेस से जारी तनातनी के बीच एक महत्वपूर्ण फ़ैसला माना जा रहा है. अखिलेश यादव के रूख से तो यही लगता है कि इंडिया गठबंधन से उनका भरोसा उठ गया है.