मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने 39 उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी कर दी है. बीजेपी ने दूसरी सूची में दिग्गजों को मैदान में उतारा है, जिससे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की टेंशन बढ़ गई है. बीजेपी विधानसभा चुनाव जीती तो इस बार सीएम पद की रेस में कई चेहरे नजर आएंगे.
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट सोमवार देर शाम जारी कर दी. बीजेपी ने 39 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है, जिसमें तीन केंद्रीय मंत्री सहित सात सांसद शामिल हैं. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से लेकर प्रह्लाद पटेल, भग्गन सिंह कुलस्ते और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को विधानसभा चुनाव में उतारकर बीजेपी ने राजनीतिक बाजी जीतने के साथ-साथ मुख्यमंत्री पद की रेस को दिलचस्प बना दिया है.
केंद्रीय मंत्री, सांसदों और दिग्गज नेताओं के चुनावी रण में उतारे जाने से सीएम शिवराज सिंह चौहान की टेंशन बढ़ गई है, क्योंकि बीजेपी ने किसी भी नेता को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं किया है. बीजेपी ने सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फैसला किया है और नतीजे के बाद सीएम पद पर फैसला होगा. ऐसे में बीजेपी में सीएम बनने का विकल्प खुला हुआ है और चुनाव जीतने के बाद किसी भी नेता की लॉटरी लग सकती.
करीब 20 साल बाद विधानसभा चुनाव लड़ेंगे तोमर
बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को मुरैना की दिमनी विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा है. दिमनी सीट पर तोमर की पसंद का प्रत्याशी चुनाव लड़ा करता था, लेकिन इस बार वह खुद इस सीट से किस्मत आजमा रहे हैं. तोमर करीब 20 साल के बाद विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे. वह 2003 में आखिरी बार ग्वालियर से विधायक चुने गए थे, लेकिन उसके बाद 2009 से सांसद बनकर केंद्रीय राजनीति में आ गए और अब फिर से विधानसभा चुनाव में उतरेंगे.
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल साढ़े तीन दशक से राजनीति में हैं, लेकिन जीवन में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं. बीजेपी ने उन्हें नरसिंहपुर सीट से प्रत्याशी बनाया है, जहां से उनके भाई जालम पटेल विधायक थे. इसी तरह से केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को निवास सीट से प्रत्याशी बनाया है. कुलस्ते 1990 में आखिरी बार विधायक बने थे और अब 33 साल के बाद विधानसभा का चुनाव लड़ने जा रहे हैं. भग्गन सिंह कुलस्ते आदिवासी चेहरा माने जाते हैं जबकि प्रह्लाद पटेल ओबीसी समुदाय से आते हैं.
10 साल बाद फिर विधानसभा चुनाव लड़ेंगे विजयवर्गीय
बीजेपी ने राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को इंदौर-1 विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है. विजयवर्गीय 10 साल बाद फिर विधानसभा के चुनाव मैदान में उतर रहे हैं. वह साल 2013 में आखिरी बार विधायक चुने गए थे और 2018 में उन्होंने अपनी जगह पर बेटे को प्रत्याशी बनाया था. विधानसभा चुनाव का टिकट मिलने के बाद कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, ‘यह पार्टी का आदेश है. मुझसे कहा गया था कि मुझे काम सौंपा जाएगा और मैं ना नहीं कहूंगा और मुझे यह करना होगा. जब टिकट की घोषणा हुई तो मैं भी हैरान रह गया. मैं पार्टी का सिपाही हूं, आदेश का पालन करूंगा.’ साथ ही उन्होंने बताया कि बीजेपी ने वरिष्ठ नेताओं को कांग्रेस का सूपड़ा साफ करने के लिए चुनावी मैदान में उतारा है. सौभाग्य की बात है कि पार्टी ने मुझे फिर से चुनावी राजनीति में भेजा है. मैं उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरने की पूरी कोशिश करूंगा.
बीजेपी ने जबलपुर से चार बार के सांसद राकेश सिंह को जबलपुर पश्चिमी विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है. वह बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और दिग्गज नेता माने जाते हैं और पहली बार विधायकी में किस्मत आजमाएंगे. इसी फेहरिश्त में सांसद गणेश सिंह और रीति पाठक भी शामिल हैं, जिन्हें बीजेपी ने विधानसभा का टिकट दिया है.
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते और राकेश सिंह सहित सात सांसदों को बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में उतारा है. इतना ही नहीं जिस तरह से दस साल के बाद कैलाश विजयवर्गीय को विधायकी लड़ाने का फैसला पार्टी ने किया है, उसके सियासी निहातार्थ भी हैं. बीजेपी के ये चारों दिग्गज चेहरे सीएम पद की रेस में प्रबल दावेदार माने जाते रहे हैं. इस तरह बीजेपी ने अपने सासंद और दिग्गज नेताओं को टिकट देकर यह सियासी संदेश देने की कोशिश की है कि सीएम पद को लेकर विकल्प खुले हैं.
बीजेपी ने सीएम चेहरे को लेकर नहीं खोले अपने पत्ते
बीजेपी मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार सामूहिक नेतृत्व और पीएम मोदी के चेहरे को लेकर चुनाव में उतरने जा रही है. 2008 से 2018 तक जो भी विधानसभा चुनाव हुए, वह शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर भी लड़े गए, लेकिन दो दशक के बाद बीजेपी ने किसी भी नेता के चेहरे को सीएम पद के लिए प्रोजेक्ट नहीं किया है. बीजेपी ने सीएम चेहरे को लेकर अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं और जब भी इस मुद्दे पर बात होती है तो पार्टी के नेता साफ-साफ शब्दों में कहते हैं कि पीएम मोदी से बड़ा कोई चेहरा नहीं है.
बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्रियों और सासंदो को टिकट देकर साफ संदेश दे दिया है कि चुनाव बाद सीएम बनने का विकल्प खुला है. ऐसे में अगर इन सासंदो के क्षेत्र, संभाग और जिले में बीजेपी जीतती है तो इनकी लॉटरी लग सकती है. नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, प्रह्लाद पटेल के शिवराज सिंह चौहान के साथ किस तरह से रिश्ते हैं, वो जगजाहिर हैं. इन नेताओं को बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व का करीबी भी माना जाता है.
बीजेपी जीती तो सीएम पद की रेस में नजर आएंगे कई चेहरे
बीजेपी 2023 का विधानसभा चुनाव जीतने में सफल रहती है तो मुख्यमंत्री पद की रेस में कई चेहरे नजर आएंगे. इस तरह से किसकी किस्मत के सितारे बुलंद होंगे, यह कहना मुश्किल है, क्योंकि बीजेपी असम में यह प्रयोग करके देख चुकी है. बीजेपी को इसमें सफलता भी मिली थी और चुनाव जीतने के बाद सर्बानंद सोनोवाल की जगह हेमंत बिस्वा सरमा को मुख्यमंत्री बनाया था. बीजेपी इसी फॉर्मूले पर मध्य प्रदेश सहित चार राज्यों का विधासभा चुनाव लड़ रही है और पार्टी ने अपने दिग्गजों को उतारकर सीएम की रेस को दिलचस्प बना दिया है. ऐसे में देखना है कि बीजेपी के दिग्गजों में से किसके सिर सीएम का ताज सजता है.