Tuesday, 03 October 2023 00:00
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आज लगभग एक महीना हो गया इस प्रकरण को हुए परन्तु उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन के अध्यक्ष, प्रबंध निदेशक, प्रबन्ध निदेशक पूर्वांचल, निदेशक वाणिज्य/कार्मिक/तकनीकी पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम से ले कर ऊर्जा मंत्री तक के संज्ञान मे होने के बावजूद भ्रष्टाचारी अभियन्ता के ऊपर कोई कार्रवाई ना होना व पूर्व मे कुम्भ मे हुए घोटाले का आरोपी होने के बाद भी निदेशक पद पर बैठ कर जाँच को प्रभावित करना व उसी अधिशाषी अभियन्ता को फिर से पोस्टिग इस बात को दर्शाती है कि छोटे छोटे मामलो मे निलम्बन करना जनता के सामने सहानुभूती बटोरने और जीरो टॉलरेंस का ढोल पीटने जैसा है परन्तु जिसके पास चादी का जूता है पूरा सिस्टम उसके आगे नतमस्तक होता सा प्रतीत होता है।
एक रिपोर्ट- अविजित आनन्द/आवाज प्लस डेस्क
लखनऊ। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रयागराज मे जनपद (सिविल) मे तैनात सुपरसोनिक गति से चलने वाले सुपरमैन "अधिशासी अभियन्ता" जो कि मात्र 29 मिनट मे प्रयागराज से लखनऊ के गोमती नगर स्थित राज्य सूचना आयुक्त की अदालत मे पहुँचते है, लेकिन लखनऊ आने से पहले उसी दिन प्रयागराज, करोडो की दो निविदाएं एक ही दिन मे कुछ मिनटो के अन्तराल पर खोला ... जब इस सम्बंध मे अधीक्षण अभियन्ता से बात हुई तो उन्होने कहाँ कि निविदाऐ नियमतयः ही खोली गयी है, वो तो निविदा खुलने की तारीख ही गलत बता रहे है ... अधीक्षण अभियन्ता के अनुसार 2 सितम्बर को निविदाएं खोली गयी, परन्तु वेबसाइट पर तारीख 6 दिखा रहा है।
अधीक्षण अभियन्ता की बाते विरोधाभास है, जिससे यह लग रहा है कि दाल मे कुछ काला नही, बल्कि पूरी दाल ही काली है और फिर जब इस सम्बंध मे मुख्य अभियन्ता से सम्पर्क करने की कोशिश की गई, तो उनका सरकारी सीयूजी नम्बर बन्द आ रहा था। जब इस सम्बंध मे और गहराई से जाँच की गयी, तो पता लगा कि फर्नीचर घोटाले व विधान परिषद को प्रबन्ध निदेशक के नवीन कार्यालय के नक्शे/मानचित्र सम्बन्धित गलत जवाब में फसता देख मुख्य अभियन्ता महोदय ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्त के लिए ही आवेदन कर दिया... पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के मुख्यालय में चर्चा है कि विधान परिषद में जो नक्शा/मानचित्र स्वीकृत करने सम्बंधित जो गलत जवाब दिया गया था व फर्नीचर खरीद मे जो फर्नीचर नग मे ना खरीद कर स्क्वायर फिट मे खरीदे गये जैसे 90 स्वायर मीटर की मेज 14 लाख मे खरीदी गयी, इस निविदा मे बडी कार्यदायी सस्थाएं भाग ना ले पाए, इसके लिए कम्पनियो के चरित्र प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने की शर्त रखी गयी।
चर्चा यह भी है कि इस घोटाले की जॉच उत्तर प्रदेश की विजलेन्स कर रही है, इसी सब के खरीद में हुए घोटाले मे अपने आप को फँसता देख मुख्य अभियन्ता ने जब तक स्वैच्छिक सेवानिवृत्त स्वीकृत ना हो जाए, तब तक के लिए छुट्टी पर जाना ही उचित है ... वैसे कुम्भ होने से पूर्व ही सरकार द्वारा प्रदान की गयी घनराशी में लूट शुरू हो गयी है, जिसका प्रमाण 6/9/2023 को खुली निविदाओ मे स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि 1 करोड 20 लाख की निविदाएं व दूसरी 4 करोड 40 लाख कि निविदाएं सुपरसोनिक गति खोली गयी।
आज लगभग एक महीना हो गया इस प्रकरण को हुए परन्तु उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन के अध्यक्ष, प्रबंध निदेशक, प्रबन्ध निदेशक पूर्वांचल, निदेशक वाणिज्य/कार्मिक/तकनीकी पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम से ले कर ऊर्जा मंत्री तक के संज्ञान मे होने के बावजूद भ्रष्टाचारी अभियन्ता के ऊपर कोई कार्रवाई ना होना व पूर्व मे कुम्भ मे हुए घोटाले का आरोपी होने के बाद भी निदेशक पद पर बैठ कर जाँच को प्रभावित करना व उसी अधिशाषी अभियन्ता को फिर से पोस्टिग इस बात को दर्शाती है कि छोटे छोटे मामलो मे निलम्बन करना जनता के सामने सहानुभूती बटोरने और जीरो टॉलरेंस का ढोल पीटने जैसा है परन्तु जिसके पास चादी का जूता है पूरा सिस्टम उसके आगे नतमस्तक होता सा प्रतीत होता है।
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम मे सालो से जमे भ्रष्टाचारी/कदाचारी अभियन्ताओ को हटाने की इच्छाशक्ति किसी में भी नही है यहाँ तक कि क्षेत्रीय भारतीय जनता पार्टी विधायक और जिला पंचायत अध्यक्ष द्वारा भी इस सम्बंध मे पत्र लिखा जा चुका है, लेकिन कोई कार्रवाई नही हो रही है ।
अगर किसी ने उक्त भ्रष्टाचारी के खिलाफ कुछ बोल दिया, तो सीधे संविधान अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजातीय वर्ग को प्रदान किये गये विशेष रक्षापाय कानून की आड़ मे मुकदमा दर्ज कर दिया जाता है और एक विशेष संगठन इनके समर्थन मे हाथ मे काली पट्टी बाध कर विरोध प्रदर्शन करने लगता है, लेकिन कोई इस पर बोलने की हिमाकत कोई नही करता। क्या इसी तरह से माननीय प्रधानमंत्री का ना खाऊगा, ना खाने दूगा... का सपना पूरा होगा। खैर
युद्ध अभी शेष है