Tuesday, 09 May 2023 00:00
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कहीं ऐसा तो नहीं पुलिस महानिदेशक के आदेश एवं सर्कुलर को दरकिनार कर पत्रकार के 173 (8) के तहत प्रार्थना पत्र पर अग्रिम विवेचना कराने पर इंकार करने के पीछे प्रार्थना पत्र के अनुसार सभी तथ्यों से अपने ही विभाग के अधिकारी सहायक पुलिस आयुक्त, गाजीपुर श्री सुनील कुमार शर्मा का गुनाह सामने आ जाना तो नहीं है।
पूर्व पुलिस महानिदेशक डीएस चौहान की ओर से जारी सर्कुलर
लखनऊ। संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध/मुख्यालय) पुलिस कमिश्नरेट, लखनऊ को 173 (8) संजीव श्रीवास्तव, पत्रकार द्वारा तत्कालीन अवर अभियन्ता कामता प्रसाद वर्मा द्वारा द्वारा कूट रचित एवं मिथ्या तथ्यों के आधार पर एससी/एसटी एक्ट में पंजीकृत अपराध संख्या 278/21 का अग्रिम विवेचना कराने हेतु प्रार्थना पत्र को कार्यवाहक पुलिस उपायुक्त उत्तरी द्वारा यह बताते हुए कि जॉच करने से इंकार कर दिया कि यह अधिकार सिर्फ वादी को होता है, जबकि उपरोक्त सन्दर्भ में पूर्व पुलिस महानिदेशक डीएस चौहान ने सीआरपीसी की धाराओं, सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए अग्रिम विवेचना के लिए जिलों के पुलिस अधिकारियों को विस्तृत निर्देश देते हुए हाईकोर्ट के अग्रिम विवेचना से संबंधित एक आदेश जारी किया है, जिसका हवाला देकर डीजीपी की ओर से सर्कुलर जारी किया गया है। कहा गया है कि किसी मामले की विवेचना पूरी होने के बाद कोर्ट में आरोपपत्र पेश किया गया हो अथवा कोर्ट आरोपपत्र का संज्ञान ले चुका हो, पुलिस नए तथ्य अथवा साक्ष्य सामने आने पर अग्रिम विवेचना आरंभ कर सकती है। इसके लिए कोर्ट की अनुमति लेने की बाध्यता नहीं है।
फिर भी कार्यवाहक पुलिस उपायुक्त उत्तरी एसएम कासिम आब्दी द्वारा उपरोक्त मामले में आरोपपत्र कोर्ट में दाखिल होने के बाद प्रकरण में नवीन तथ्य सामने आने के बाद भी उसकी अग्रिम विवेचना कराने से कतरा रहे हैं, आखिर क्यों ? कहीं ऐसा तो नहीं प्रार्थना पत्र के अनुसार सभी तथ्यों को अपने ही विभाग के अधिकारी तत्कालीन एसीपी श्री सुनील कुमार शर्मा का गुनाह सामने आ जायेगा।
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कोर्ट के आरोपपत्र का संज्ञान लेने के बाद भी हो सकती है अग्रिम विवेचना, जारी किए गए नर्दिश
बताते चले कि पूर्व पुलिस महानिदेशक डीएस चौहान ने सीआरपीसी की धाराओं, सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए अग्रिम विवेचना के लिए जिलों के पुलिस अधिकारियों को विस्तृत निर्देश देते हुए हाईकोर्ट के अग्रिम विवेचना से संबंधित एक आदेश जारी किया है, जिसका हवाला देकर पूर्व पुलिस महानिदेशक डीएस चौहान की ओर से सर्कुलर जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि किसी मामले की विवेचना पूरी होने के बाद कोर्ट में आरोपपत्र पेश किया गया हो अथवा कोर्ट आरोपपत्र का संज्ञान ले चुका हो।
पत्रकार के 173 (8) के तहत प्रार्थना पत्र