Friday, 11 August 2023 00:00
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नई दिल्ली. भारत का मिशन मून चंद्रयान-3 बहुत जल्द चंद्रमा की सतह पर उतरने वाला है और इसकी सॉफ्ट लैंडिंग की तैयारियां की जा रही हैं. इस मिशन में चंद्रयान-3 के सतह पर उतरने को लेकर बहुत अधिक फोकस किया गया है, क्योंकि इससे पहले चंद्रयान-2 फेल हो गया था. ऐसा माना जाता है कि चंद्रयान-2 के फेल होने में सबसे बड़ी वजह उसकी स्पीड थी. वैज्ञानिकों ने भी बताया था कि चंद्रयान-2 के मिशन में लैंडिंग के पहले तक अपने मिशन में सभी टास्क पूरे कर चुका था. लेकिन जब उसे चंद्रमा की सतह पर लैंड करना था, तब दिक्कतें आईं और चंद्रयान-2 रोवर से बाहर नहीं आ पाया था.
इसरो के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 की असफलता के बाद कई सबक सीखे और इस बार चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग कराने की तैयारी है. स्पेसक्राफ्ट की स्पीड को लेकर कई प्रयोग किए गए हैं और अब उन्हीं के जरिए चंद्रयान-3 को लैंड कराया जाएगा. वैज्ञानिकों ने बताया कि स्पेसक्राफ्ट चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के समय स्पीड 36 हजार किमी प्रति घंटा थी. वहीं जब इसे ऑर्बिट में पहुंचाया जाता है तब इसकी स्पीड 6000 किलोमीटर प्रति घंटा रखी जाती है. इस स्पीड को धीरे-धीरे बहुत कम कर दिया जाता है. लैंडिंग के समय स्पेसक्राफ्ट की गति करीब 10.8 किमी प्रति घंटा रखी जाएगी.
अंतरिक्ष में स्पेसक्राफ्ट की गति को लगाते हैं ब्रेक
वैज्ञानिकों का कहना है कि स्पेसक्राफ्ट की गति को ब्रेक लगाने के लिए थ्रस्ट का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें इंजन को थ्रस्ट दिया जाता है और उसके जरिए स्पीड को कम किया जाता है. चंद्रयान-2 के समय इसी थ्रस्ट देने में गड़बड़ी हो गई थी और पूरा मिशन फेल हो गया था. चंद्रयान-2 की लैंडिंग के पहले उसकी स्पीड को कम करने के लिए थ्रस्ट दिया गया था, लेकिन यह ज्यादा थ्रस्ट के कारण गड़बड़ी हो गई थी. उस समय चंद्रयान-2 की लैंडिंग फेल हो गई थी. वैज्ञानिकों ने इस बार थ्रस्ट को लेकर कई बातों का ध्यान रखा है. वे स्पीड कम करने के लिए थ्रस्ट का ही प्रयोग करेंगे, लेकिन साथ ही कई संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए उनके हल भी सोचे गए हैं. इस बार थ्रस्ट को लेकर खास प्लान तैयार किया गया है.