Sunday, 08 October 2023 00:00
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जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि इस्लामी शिक्षाओं को अपने चरित्र और कार्यों में ढाल कर एक अच्छा मुसलमान और अच्छा इंसान बनना होगा. इसी से हम अन्य लोगों के लिए आदर्श और अनुसरण योग्य बन सकते हैं. उन्होंने कहा कि अब वैश्विक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है.
इमारत शरीया के सम्मेलन में जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि अगर हमारी पारिवारिक व्यवस्था ठीक हो जाए तो बहुत सी समस्याएं दूर हो सकती हैं, बल्कि कुछ मामलों में इस्लामी न्याय व्यवस्था को लेकर कुछ लोगों की ओर से जिस तरह उंगलियां उठती हैं उस पर भी विराम लग जाएगा. मौलाना मदनी ने शरीयत के नियमों को इस्लाम का मजबूत आधार करार देते हुए कहा कि जब तक हम इन नियमों को अपने व्यावहारिक जीवन का अंग नहीं बनाएंगे, एक आदर्श और स्वस्थ समाज की स्थापना नहीं हो सकती.
उन्होंने यह भी कहा कि हमारे पिछड़ेपन का मुख्य कारण यह है कि हमने खुद को इस्लामी शिक्षाओं और शरीयत के आदेशों से दूर कर लिया है. इस्लाम के खिलाफ होने वाले दुष्प्रचार से निराश और हीन भावना का शिकार होने की बिल्कुल जरूरत नहीं है. हर दौर में ऐसा हुआ है, लेकिन इस्लाम की सच्चाई सदैव विजयी रही है.
उन्होंने कहा कि पिछले दिनों पश्चिमी देशों में जब पवित्र कुरान का अपमान किया गया तो रूस के राष्ट्रपति ने एक मस्जिद में जाकर पवित्र कुरान को सीने से लगा लिया. इसकी तस्वीरें पूरी दुनिया में वायरल हुईं. यह खुदा की शक्ति की व्यवस्था है कि जो इस्लाम को मिटाना चाहते थे आज वही इस्लाम के समर्थक बनते नजर आ रहे हैं. इसी तरह अमरीका, जो विश्व की महाशक्ति था, उसने अफगानिस्तान पर कब्जा किया और वर्षों तक अफगानियों से युद्ध लड़ता रहा, लेकिन फिर हताश और हानिग्रसत हो कर उसे भी भागना पड़ा. उसके बाद एक अमीरुल मोमिनीन (राष्ट्रपति) के नेतृत्व में वहां इस्लामी व्यवस्था स्थापित हो गई. अब अफगानिस्तान विकास कर रहा है और विश्व में उसकी मुद्रा का मूल्य भी बढ़ गया है.
पश्चिमी देशों ने समस्या सुलझाने के बजाय उलझाईं- मदनी
मौलाना मदनी ने कहा कि हाल के दिनों में विश्व स्तर पर होने वाले परिवर्तन हमारी नजर में न केवल स्वागत योग्य हैं बल्कि कई अर्थों में बहुत महत्वपूर्ण भी. एक धुरी वाले विश्व में अब तक अधिकांश इस्लामी देशों का झुकाव अमेरिका और पश्चिमी देशों की ओर था, लेकिन हाल के दिनों में कूटनीतिक स्तर पर जो आश्चर्यजनक परिवर्तन हुए हैं, वह एक परिवर्तित विचार और रणनीति का परिचायक हैं. पिछले दशकों का अगर विश्लेषण किया जाए तो यह तथ्य सामने आता है कि पश्चिमी शक्तियों ने समस्याओं का समाधान करने के बजाय इस्लामी देशों को नई-नई समस्याओं में उलझाए रखने के अधिक गुप्त प्रयास किए हैं.