Monday, 25 December 2023 00:00
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उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के विद्युत सेवा आयोग के माध्यम से 2004 में परिचालकीय कर्मचारियों को अवर अभियंता के 863 रिक्त पदों पर पदोन्नति दी गई थी। इसके लिए प्रदेश में छह केंद्रों पर लिखित परीक्षा आयोजित की गई थी।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विद्युत सेवा आयोग में करीब 20 साल पहले हुए प्रोन्नति घोटाला मामले में उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान ने आयोग के पांच पूर्व अधिकारियों सहित परीक्षा आयोजित करने वाली कंपनी संचालिका के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कर लिया है। उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान ने इन अधिकारियों के खिलाफ यह कार्रवाई नियमों को ताक पर रखकर परिचालकीय संवर्ग के कर्मचारियों (टीजी-2) को अवर अभियंता के पद पर पदोन्नति दिए जाने के मामले में की है।
उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान द्वारा जिन लोगों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत किया गया है, उनमें विद्युत सेवा आयोग के तत्कालीन उप सचिव राजेश कुमार (आरके राम), उप महाप्रबंधक व सदस्य लालचंद्र व वीसी जोशी, अधिशासी अभियंता बीके श्रीवास्तव व आलोक वर्मा तथा परीक्षा आयोजित करने वाली एजेंसी मेसर्स डाटा प्वाइंट की संचालिका सरिता मिश्रा शामिल हैं, जबकि इस अनियमितता में शामिल रहे विद्युत सेवा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष सुधीर कुमार शर्मा, सचिव गोपाल राम का निधन भी हो चुका है।
उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान, लखनऊ द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमे के मुताबिक उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के विद्युत सेवा आयोग के माध्यम से 2004 में परिचालकीय कर्मचारियों को अवर अभियंता के 863 रिक्त पदों पर पदोन्नति दी गई थी। इसके लिए प्रदेश में छह केंद्रों पर लिखित परीक्षा आयोजित की गई थी।
परीक्षा में कई स्तरों पर गड़बड़ी की शिकायतें हुई थी। इसी आधार पर इस मामले की जांच उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान को सौंपी गई थी। मुकदमे में बताया गया है कि परीक्षा की ओएमआर सीट की डिजाइन में नियमों की अनदेखी की गई थी और इसका सत्यापन करने वाले कई अधिकारियों ने मिलकर परीक्षा की शुचिता को भंग किया है। प्राथमिकी में यह भी बताया गया है कि कई योग्य अभ्यर्थियों के स्थान पर अयोग्य लोगों को उत्तीर्ण घोषित कर उनका चयन किया गया है।