Thursday, 05 October 2023 00:00
AWAZ PLUS MEDIA HOUSE
कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस से शुरू होने वाले दलित संवाद कार्यक्रमों के संबंध में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कोर कमेटी की एक बैठक हुई है, जिसमें दलित समुदाय को जोड़ने की रूपरेखा तैयार की गई है.
लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस उत्तर प्रदेश की सियासत में खुद को मजबूत करने में जुट गई है. कांग्रेस का पूरा फोकस दलित समुदाय के वोटबैंक पर है, जिसे साधने के लिए बसपा संस्थापक कांशीराम का सहारा ले रही है. कांशीराम की परिनिर्वाण दिवस 9 अक्टूबर से संविधान दिवस 26 नवंबर तक कांग्रेस डेढ़ महीने तक दलित समुदाय के बीच अलग-अलग कार्यक्रम चलाएगी. इस तरह कांग्रेस ने बसपा के परंपरागत वोटबैंक में सेंधमारी की रणनीति बनाई है.
कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस से शुरू होने वाले दलित संवाद कार्यक्रमों के संबंध में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कोर कमेटी की एक बैठक हुई है, जिसमें दलित समुदाय को जोड़ने की रूपरेखा तैयार की गई है. कांग्रेस ने दलित गौरव संवाद, दलित गौरव यात्रा तथा रात्रि चौपालों के जरिए हर विधानसभा क्षेत्र में कम से कम 250 दलित मतदाताओं के साथ संपर्क स्थापित करने की रणनीति बनाई है. कांग्रेस ने नौ अक्टूबर से लेकर 26 नवंबर तक अलग-अलग कार्यक्रम अयोजित करके ज्यादा से ज्यादा दलित समुदाय को साथ जोड़ने का लक्ष्य रखा है.
कांग्रेस की क्या है प्लानिंग
पार्टी उत्तर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में दलित नेताओं की बैठक, हर एक विधानसभा क्षेत्र में 250 दलितों से संपर्क, दलित बस्तियों में रात्रि चौपाल और 500 दलित परिवारों से अधिकार मांग पत्र भरवाएगी. इसके अलावा सभी लोकसभा क्षेत्रों में दलित एजेंडे पर चर्चा, कोर ग्रुप का गठन और सभी 18 मंडलों में दलित गौरव यात्रा निकाली जाएगी. कांग्रेस अगले डेढ़ महीने के दौरान एक लाख से ज्यादा दलित समुदाय के प्रभावशाली लोगों के साथ संपर्क करने और उन्हें जोड़ने की कवायद करती हुई नजर आएगी. इस सिलसिले में कांग्रेस नेताओं ने दलितों की बस्तियों में ज्यादा से ज्यादा संपर्क साधना शुरू कर दिया है.
अजय राय ने की इसकी शुरुआत
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय दलितों के साथ यह सिलिसिला शुरू कर चुके हैं. पिछले सप्ताह लखनऊ में एक दलित बस्ती में सहभोज कार्यक्रम में शिरकत कर दलितों के साथ संवाद किया था. उसी के बाद ही पार्टी ने रणनीति तय की गई कि लोकसभा चुनाव से पहले 22 फीसदी दलित समुदाय को जोड़ने का अभियान चलाया जाए. कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस के दिन अजय राय मोहनलालगंज या फिर बाराबंकी में दलित समाज के बीच होंगे. ऐसे ही पार्टी के दूसरे नेता अलग-अलग जिलों में होने वाले कार्यक्रम में शिरकत करेंगे.
कांग्रेस के दलित नेता अभियान को देंगे धार
उत्तर प्रदेश में दलित समुदाय को जोड़ने के लिए कांग्रेस अपने बड़े दलित नेता और दूसरे दिग्गज नेताओं को भी उतारेगी. ये दिग्गज नेता दलित बस्तियों में अधिकार पत्र भरवाते नजर आएंगे. सूत्रों की मानें तो पंजाब के मुख्यमंत्री रहे चरणजीत सिंह चन्नी और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री रहे नितिन राउत जैसे नेता भी यूपी की दलित बस्तियों में उतारे जा सकते हैं. इसके अलावा पीएल पुनिया और सूबे के दूसरे दलित नेता भी इस अभियान को धार देने का काम करेंगे.
कांशीराम के सहारे दलित वोटरों पर नजर
बसपा का मूल वोटबैंक दलित एक समय कांग्रेस का परंपरागत वोटर रहा है, जो आजादी के बाद से 1990 तक कांग्रेस के साथ रहा. कांग्रेस के विरोध और दलित राजनीतिक चेतना खड़ी करने के लिए कांशीराम ने बसपा का गठन किया और यूपी को सियासी प्रयोगशाला बनाया. यूपी में दलित वोटर्स कांग्रेस से छिटकर बसपा से जुड़ गया था, जिसे दोबारा से वापस लाने के लिए कांग्रेस ने तमाम प्रयास किए, लेकिन सफल नहीं हो सकी है. ऐसे में पार्टी ने अब कांशीराम के नाम के सहारे दलित समुदाय को जोड़ने की रणनीति बनाई है.
दलित समुदाय के मसीहा और संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की सियासी परिकल्पना को लेकर कांशीराम ने बसपा का गठन किया था और दलितों के बीच एक राजनीतिक चेतना जगाई थी. बसपा के महापुरुषों और आदर्शों में अंबेडकर और कांशीराम का सबसे ऊपर दर्जा है. यही वजह है कि कांग्रेस ने नेहरू और गांधी के साथ-साथ अंबेडकर और कांशीराम की सियासत पर दांव खेलने जा रहे हैं.अंबेडकर-कांशीराम की विचारधारा को लेकर चलना चाहते हैं, क्योंकि वक्त की जरूरत भी यही है.
बीजेपी से मुकाबला करने की है तैयारी
नेहरू-गांधी के साथ अंबेडकर-कांशीराम की राह पर चलकर बीजेपी से मुकाबला किया जा सकता है, क्योंकि दलित और पिछड़ों का हक मारा जा रहा है. कांशीराम के बहाने राहुल गांधी की कोशिश दलित समाज के साथ भावनात्मक रिश्ता कायम रखने की है. वह दलित समाज को यह संदेश देने की कोशिश में हैं कि सपा भी कांशीराम को सम्मान और सियासी अहमियत देने में किसी तरह से पीछे नहीं है. इस तरह वह मायावती को अलग रखकर बसपा के महापुरुषों और नेताओं के जरिए दलित समाज से अपना रिश्ता बनाए रखना चाहते हैं.
कांशीराम के नक्शेकदम पर राहुल गांधी
मायावती की सियासत के बैकबोन कांशीराम ही रहे हैं, जिन्होंने गांव-गांव घूम-घूमकर दलित राजनीति खड़ी की है. ऐसे में कांशीराम को लेकर दलितों के बीच आज भी उसी तरह का सम्मान है, जिसके जरिए कांग्रेस दलितों का विश्वास जीतने की कोशिश में हैं. कांग्रेस ने अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को बनाकर रखा है, जो दलित समुदाय से आते हैं. वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी इन दिनों कांशीराम के नक्शेकदम पर चल रहे हैं और जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी की मांग उठा रहे हैं. इस तरह राहुल गांधी और कांग्रेस अब पूरी तरह से सामाजिक न्याय की राह पर अपने कदम बढ़ा दिए हैं. देखना है कि कांग्रेस कांशीराम के सहारे कितना दलितों का दिल जीत पाती है?