Monday, 13 November 2023 00:00
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लखनऊ । प्रतिदिन 407 लोग बिजली चोरी में पकडे जा रहे हैं और 373 पर एफआईआर हो रही है। हर दिन 1683 मेगावाट की बिजली चोरी हो रही है। उपभोक्ता परिषद का कहना है कि चोरी करने वालों को छूट देने से यह प्रवृत्ति बढ़ेगी।
प्रदेश में बिजली चोरी के जुर्माने पर 65 फ़ीसदी छूट दिए जाने का मामला तूल पकड़ने लगा है। उपभोक्ता परिषद ने शुक्रवार को इस फैसले के खिलाफ नियामक आयोग में जनहित प्रस्ताव दाखिल कर दिया है। मांग की है कि इस छूट का किसी भी कीमत पर प्रदेश के 3.35 करोड़ आदर्श विद्युत उपभोक्ताओं पर न डाला जाए।
परिषद ने आयोग से सिफारिश की है कि नए टैरिफ प्लान तैयार करते वक्त इस छूट की बारीकियों पर अलग से कमेटी बनाकर अध्ययन कराया जाए। ताकि पावर कारपोरेशन की इस छूट की वजह से किसी भी तरह का भार आदर्श उपभोक्ताओं पर न डालने पाए। प्रदेश में पिछले 6 वर्षों में 8 लाख 80 हजार 567 विद्युत उपभोक्ताओं पर बिजली चोरी के केस दर्ज हुए हैं। इसमें 8 लाख 6658 मामलों में एफआईआर दर्ज हुई। कुल राजस्व निर्धारण 5226 करोड़ हुआ।
यानी प्रतिदिन 407 लोग बिजली चोरी में पकडे जा रहे हैं और 373 पर एफआईआर हो रही है। हर दिन 1683 मेगावाट की बिजली चोरी हो रही है। उपभोक्ता परिषद का कहना है कि चोरी करने वालों को छूट देने से यह प्रवृत्ति बढ़ेगी। यही वजह है कि शुक्रवार को राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग में एक जनहित प्रस्ताव दाखिल करते हुए कहा बिजली चोरी में राजस्व निर्धारण की वजह से जो भी छूट पावर कॉरपोरेशन द्वारा दी जाए, इसका खामियाजा प्रदेश के लगभग 3.35 करोड़ विद्युत उपभोक्ताओं को न भुगतना पड़े। विद्युत नियामक आयोग टैरिफ आदेश में यह व्यवस्था करें।
सुप्रीम कोर्ट ने भी बदलाव पर जताई है आपत्ति
उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग को यह भी अवगत कराया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित एक आदेश में यह व्यवस्था दी गई है कि बिजली चोरी के फाइनल असेसमेंट पर कोई भी बदलाव नहीं कर सकता है। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को भी कहा है कि वह फाइनल असेसमेंट के मामले में इंटरफेयर ना करें। अगर किसी उपभोक्ता को इसमें कुछ कहना है तो वह विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 127 के तहत अपील कर सकता है।
बिजली चोरी को बढ़ावा देना गलतः वर्मा
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि लगभग 5226 करोड़ का राजस्व निर्धारण किया गया है। राजस्व निर्धारण के अनुपात में जो वसूली अभी तक की गई है वह लगभग 720 करोड़ है। बिजली चोरी पर प्रतिबंध लगा दिया जाए तो किसी भी विद्युत उपभोक्ता को कम बिजली नहीं मिलेगी और कटौती मुक्त बिजली मिलेगी। ऐसे में बिजली चोरी को बढ़ावा देना पूरी तरह गलत है। प्रदेश में एक साल में लगभग 5000 करोड़ की बिजली चोरी होती है। ऐसे में इसको बढ़ावा किसी भी हाल में नहीं मिलना चाहिए। गरीबों को बिजली चोरी में फंसा कर असेसमेंट किया जाता है तो ऐसे मामलों को चिन्हित करके उनको रिटर्न आप इक्विटी में अनुमोदित राशि से छूट दिया जा सकता है, जिसका खामियाजा आदर्श उपभोक्ताओं पर नहीं पडेगा क्योंकि यह संख्या बहुत सीमित होगी।