Wednesday, 17 May 2023 00:00
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सबसे अहम सवाल अवर अभियन्ता की लापरवाही के शिकार निविदा/संबिदाकर्मीयों के परिवारिक जीवन यापन की जिम्मेदारी आखिर किसी न किसी को तय करनी ही होगी, यह फिर उसके परिवार की जीवन यापन हेतु किसी ट्रस्ट के गठन किया जाना चाहिए, ताकि लापरवाही के शिकार निविदा/संबिदाकर्मीयों के परिवार के भरण पोषण, शिक्षा अच्छी तरह हो सके।
विदित हो कि लालगंज, उत्तर प्रदेश के बिजली विभाग के संविदा लाइनमैन राजाराम 30 मई 2022 को एक शिकायत पर शटडाउन लेकर बिजली का तार जोड़ने गया था। जोड़ने के दौरान के दौरान अचानक सप्लाई चालू हो गई थी, कंरट के चपेट में आने से लाइनमैन राजाराम बुरी तरह झुलस गये, इलाज के दौरान संविदा कर्मियों के बाया हाथ काटना पड़ा। विभाग से कोई सहायता नहीं मिलने पर लाइनमैन राजाराम ने एक परिवार वाद सहायक श्रमायुक्त क्षतिपूर्ति कोर्ट क्षतिपूर्ति हेतु आवेदन किया, जिस पर सहायक श्रमायुक्त ने अधिशाषी अभियन्ता लालगंज को 17 लाख 11 हजार 888 स्पया और कुंडा को 18 लाख 42 हजार 249 रूपया देने का आदेश जारी किया। साथ में 30 दिन के भीतर भुगतान न होने पर 12 प्रतिशत व्याज देने का फैसला सुनाया।
ऐसा ही एक मामला सेक्टर 14 और पावर हाउस से संबंधित है जहां पर संविदा कर्मचारी बृजेश कुमार दिनांक 25 /26 मई 2022 की रात्रि फरीदी नगर फीडर प्रकार करने के निर्जीव अवस्था में सुगमऊ फीडर केक के बिल से करंट लगने के कारण बुरी तरह झुलस गए थे इलाज के दौरान बृजेश कुमार रावत के दोनों हाथ काट दिए गए थे। इस घटना की जांच विद्युत सुरक्षा निदेशालय ने किया था। विद्युत सुरक्षा निदेशालय के उपनिदेशक ने 19 जुलाई 2022 को उक्त घटना विद्युत दुर्घटना भारतीय विद्युत नियमावली 1956 के नियम 93 के उल्लंघन के फलस्वरूप पाया और इसके जिम्मेदार तत्कालीन अवर अभियंता रमेश कुमार एवं उनके अनुरक्षण स्टाफ को जिम्मेदार बताया साथी बृजेश कुमार रावत को उचित क्षतिपूर्ति प्रदान करने उपरोक्त दोषी और अभियंता एवं स्टाफ के गुण आवश्यक कार्रवाई करने का आदेश जारी किया था जिसका पालन आज तक नहीं हो पाया।
आज बिजली विभाग में सबकुछ आधुनिक होता जा रहा है, लेकिन लाइनमैनों को बगैर संसाधनों के तकनीकी खराबी ठीक करने के कार्य में लगा दिया गया है। विभागीय अनदेखी के कारण कई हादसे हो चुके हैं। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन से सम्बन्धित सभी उपकेंद्रों पर एक जैसे हालात हैं। प्राइवेट लाइनमैन निविदा/संबिदा के रूप में तैनात हैं, जो मात्र 6 से 8 हजार तक के राशि में अपनी जान हथेली पर रखकर कार्य करते है। बिजली विभाग के लाइनमैनों को विभाग द्वारा न तो सीढ़ी दी गई है और न हेलमेट या सेफ्टी बेल्ट। डिस्चार्ज राड, टेस्टर और सेफ्टी जूते तक उपलब्ध नहीं कराया गया है। विभाग का कहना होता है कि हेलमेट या सेफ्टी समान सम्बन्धिंत कार्यदायी एजेन्सी उपलब्ध कराती है, न कि विभाग। जान जोखिम में डालकर बिजली आपूर्ति बनाए रखने वाले कर्मचारियों की विभाग को चिंता नहीं है। विभाग से मिलने वाली वर्दी और काम करने वाले उपकरण उन्हें वर्षों से नहीं दिए गए हैं। इससे काम करते समय उनकी जान जाने का खतरा बनी रहती है।
कार्य करने के दौरान यदि किसी कर्मचारी के साथ कोई हादसा हो जाता है, तो विभाग अपना पल्ला झाड़ लेता हैं। संबंधित उप केंद्र के अधिकारी एवं कर्मचारी इंसानियत के मद्देनजर आपसी सहयोग से जितना हो सकता है, इलाज करा देते हैं, बाकी पीड़ित परिवार जाने ...... इसका जीता जाता एक उदाहरण सेक्टर 14 ओल्ड उप केंद्र में कार्यरत संविदा कर्मचारी बृजेश कुमार का है, जो तत्कालीन अवर अभियंता रमेश कुमार के लापरवाही के कारण अपने दोनों हाथ खो बैठा, जिसके कारण आज उसका जीवन मौत से भी बदतर हो गया है।
विभाग अथवा संबंधित एजेंसी किस तरफ से किसी भी प्रकार की कोई भी राशि मदद के रूप में प्राप्त नहीं हुई। न ही लिखित रूप से कार्यमुक्त किया गया है न ही किसी भी प्रकार से कोई मानेदय प्रदान किया गया है, सिर्फ लालीपॉप के रूप में खानापूर्ति के करते हुए बृजेश कुमार की पत्नी को संविदा के रूप में घर से मात्र 10 कदम कदम की दूरी पर स्थित मुंशीपुलिया डिविजन में न देकर कई किलोमीटर दूर इंदिरा नगर डिवीजन में नौकरी दे दी गई, ताकि जो भी मानदेय मिल रही है, उसका एक अच्छा खासा भाग आने जाने के किराया के रूप में खर्च हो जाए। बताते चलें कि बृजेश कुमार के परिवार में पत्नी और चार बच्चियां है। विभाग के उदासीन रवैया को देखते हुए अब बृजेश कुमार सहायक श्रमायुक्त क्षतिपूर्ति कोर्ट क्षतिपूर्ति हेतु आवेदन करने जा रहा है।