Friday, 03 November 2023 00:00
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चुनावी बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुरक्षित रख लिया. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि पूरे सिस्टम को पारदर्शी बनाये जाने की जरूरत है. इसी के साथ कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी फटकार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को राजनीतिक दलों को 30 सितंबर 2023 तक इलेक्टोरल बॉन्ड से मिले चुनावी चंदे का ब्यौरा दो हफ्ते में जमा करने को कहा.
चुनावी बॉन्ड को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सख्त टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौजूदा चुनावी बॉन्ड योजना में कई खामियां हैं. कोर्ट ने ये भी कहा कि विधायिका चाहे तो इस योजना में अधिक से अधिक पारदर्शिता ला सकती है. कोर्ट ने कहा कि पूरे मामले में संतुलन बनाने का काम कार्यपालिका का है, न कि न्यायपालिका का.
गुरुवार को चुनावी बॉन्ड मसले पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि इस मामले में सभी दलों को विचार करने की जरूरत है. मुख्य न्यायाधीश ने ये भी कहा कि चुनाव में नकद लेनदेन को कम करने की भी जरूरत है.
मान्य बैंकिंग चैनलों का उपयोग करने का निर्देश
सॉलिसिटर तुषार मेहता और कपिल सिब्बल की बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनावी बॉन्ड के तहत चेक, ड्राफ्ट या प्रत्यक्ष डेबिट जैसे अधिकृत बैंकिंग चैनलों का ही उपयोग किया जाना चाहिए, इससे चुनावों में धन के इस्तेमाल को लेकर पारदर्शिता बढ़ेगी.
चुनाव आयोग से डाटा जमा करने का आदेश
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से भी सख्ती से कई सवाल किये हैं. कोर्ट ने कहा कि आदेश के बावजूद 2019 के बाद कोई डाटा क्यों नहीं जमा किया गया. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा आपको डाटा जमा करने का काम जारी रखना था. इसके बाद कोर्ट ने चुनाव आयोग से सितंबर 2023 तक चुनावी बांड के माध्यम से राजनीतिक दलों को मिले धन का डाटा जमा करने को कहा.
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा कि आपके रिकॉर्ड के मुताबिक़ बॉन्ड से कितना चंदा आया है? जिसके बाद चुनाव आयोग ने बताया कि राजनीतिक दलों को मिले बॉन्ड का डिटेल सीलबंद लिफाफे में हैं. हमने इसे अभी तक नहीं खोला है. हम इसे नहीं खोल सकते. कोर्ट चाहे तो इसे खोल सकता है.
प्रशांत भूषण ने उठाया काले धन का मुद्दा
इस दौरान याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण ने चुनाव में काले धन के इस्तेमाल का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि जैसा दावा किया जाता है, वैसी कोई पारदर्शिता नहीं दिखती. चुनावों में काले धन का इस्तेमाल जारी है.
इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम सिर्फ इस योजना की संवैधानिकता पर विचार कर रहे हैं. CJI ने कहा कि एक योजना पूरी तरह असफल हो सकती है, लेकिन संवैधानिक रूप से वैध योजना हो सकती है.
प्रशांत भूषण से सुप्रीम कोर्ट के सवाल जवाब
इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने याचिकर्ताओं से पूछा कि आप क्या चाहते हैं? इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को पूरी तरह रद्द करना चाहते हैं या कुछ और? वकील प्रशांत भूषण ने इसके जवाब में कहा कि इस स्कीम को लेकर हमारा विरोध केवल बॉन्ड खरीदने वालों की गोपनीयता के खिलाफ है. अगर यह गोपनीयता हटा दी जाती है तो इस स्कीम से कोई दिक्कत नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
बहस के बाद चुनावी बांड पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखते हुए याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण से कहा कि आप जिन आधारों का हवाला दे रहे हैं, वह किसी योजना की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने का आधार नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को ये भी निर्देश दिया कि राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड से मिले चुनावी चंदे का ब्यौरा दो हफ्ते में कोर्ट में जमा करे.