लखनऊ। सेक्टर 14 ओल्ड पावर हाउस, लेसा के उपखण्ड अधिकारी/अवर अभियन्ता द्वारा विघुत संयोजन के नाम पर आवेदक से दो लाख रूपया रिश्वत मांगने का एक वीडियो तूफान की तरह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल होने लगा। वीडियो में एक युवक अपने परिसर पर संयोजन के लिए सेक्टर 14 ओल्ड पावर हाउस के उपखंड अधिकारी अरविंद सिंह एवं अवर अभियंता कप्तान सिंह के ऊपर ₹200000 रिश्वत मांगने का गंभीर आरोप लगाते हुए लोगों से मदद की गुहार लगाई।
इसके पूर्व वरिष्ठ पत्रकार विवेक शर्मा के ट्विटर अकाउंट पर एक खबर पोस्ट की गई थी जिसमें एक ऐसे पत्र के सहारे संयोजन देने से इनकार किया गया था, जिसमें उसका हस्ताक्षर ही नहीं, पता ही नहीं, ना कोई आधार कार्ड की फोटो प्रति, ना कोई फोन नंबर लिखा हुआ था ... सिर्फ कुछ शब्द है जिसके मुताबिक उपरोक्त दुकान के स्वामी रोहित कुमार जैन बताते हुए निवेदन किया था की दुकान जिसका पता 155 सुख कंपलेक्स इंदिरा नगर लखनऊ दर्शाया गया था, का पुराना बिल पीढ़ी कर दिया गया है और बगैर हमारे स्वीकृति के किराएदारी अनुबंध पर किसी प्रकार का नया कनेक्शन न देने का निवेदन किया... यह पत्र, जिसमें दिनांक 20/11/2023 दर्शाया गया है, रोहित कुमार जैन एवं प्रखर जैन के रिश्तेदार पंकज कुमार जैन के हस्ताक्षर द्वारा अवर अभियंता कप्तान सिंह को उपलब्ध कराया गया था, उसी समय पंकज कुमार जैन ने अपने मोबाइल से उपरोक्त दुकान के स्वामी रोहित कुमार जैन से बात भी कराई, उपयुक्त संयोजन निरस्त करने हेतु एक और सहायक दस्तावेज लगाए गए जो सीधे रोहित कुमार जैन जो कि पंजाब में रहते हैं, का एक पत्र भी संलग्न किया... बताते चले कि उपरोक्त पत्र अवर अभियंता कप्तान सिंह द्वारा प्रखर जैन के संयोजन संबंधित आवेदन को निरस्त करने के वरदान साबित हुआ दिया।
अब सवाल यहां यह उठता है किराएदार प्रखर जैन एवं रोहित कुमार जैन के नजदीकी रिश्तेदार पंकज कुमार जैन ने अपने मोबाइल से अवर अभियंता कप्तान सिंह को जिस व्यक्ति से बात कराई वह व्यक्ति वास्तव में उपरोक्त परिसर के स्वामी रोहित कुमार जैन हैं या नहीं इस बात की पुष्टि कैसे कर सकते हैं यह अपने आप में सबसे बड़ा सवाल है??
इसके अतिरिक्त जो पत्र 20 11 2023 के डेट में लिखे गए हैं उसे पत्र में ना ही किसी रोहित कुमार जैन का पूरा पता है ना ही कोई मोबाइल नंबर दिया हुआ है और ना ही कोई आधार कार्ड या पहचान चिन्ह संलग्न किया गया है।
दूसरी अहम बात संयोजन आवेदक को निरस्त करने मैं जिस पत्र को हथियार बनाया गया है, वह पत्र 30 दिसंबर 2014 को पंजाब से लिखी गई थी एवं आगामी एक जनवरी 2024 को ही उपरोक्त परिसर में संयोजन आवेदन संबंधी दस्तावेज में संलग्न कर आवेदक को निरस्त कर दिया जाता है... ऐसी दशा में हम पत्रकार के समझ में नहीं आ रही है की ऐसी कौन से स्पीड पोस्ट भारत सरकार ने शुरुआत कर दी है की 24 घंटे में ही न सिर्फ पोस्ट किया जाता है बल्कि भेजने वाले स्थल पर पहुंच भी जाता है.. वह तब जब दिन शनिवार और रविवार का हो... हम पत्रकारों का यह कर्तव्य है कि भारत सरकार के इस प्रकार की सेवाओं अच्छी तरह प्रचार प्रसार करें ताकि सही समय पर डाक विभाग लोगों को आपकी सर्विस दे सके।
आज इसी मामले से जुड़ा हुआ एक वीडियो बड़ी तेजी से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो रहा है जिसमें लगाया गया आप से न सिर्फ विभाग की छवि धूमिल हो रही है बल्कि अच्छे और ईमानदार अन्य अवर अभियंताओं को भी उसी दृष्टि से से देखा जा रहा है।
इस संदर्भ में जब आवाज प्लस बैनर द्वारा बारीकी से जांच पड़ताल की गई तो कई नए तथ्य प्रकाश में आए, जो अपने आप में उपखंड अधिकारी अरविंद सिंह एवं अवर अभियंता कप्तान सिंह को संदेह के घेरे ला देता है...
प्राप्त जानकारी एवं उपलब्ध दस्तावेजों के अनुसार आवेदक प्रखर जैन उपरोक्त दुकान, जिसका पता शॉप नंबर 155 सुख कंपलेक्स इंदिरा नगर लखनऊ है...पर लगभग 18 सालों से काबिज है, जिसमें महिला के सिंगार का सामान जैसे चूड़ी, बिंदी, झुमका आदि बेचने का काम करता था, इन 18 सालों में आवेदक प्रखर जैन द्वारा अपना किराया अपने ही रिश्तेदार पंकज कुमार जैन को उपलब्ध कराया जाता था... आवेदक प्रखर जैन का व्यवसाय संबंधित समस्त जैसे जीएसटी पंजीकरण, आइटीआर सहित अन्य दस्तावेज आवेदक के पास उपलब्ध है जिसे यह प्रतीत होता है कि आवेदक के पास उपरोक्त दुकान आज से नहीं बल्कि 18 साल के ऊपर से है।
व्यवसाय में तेजी ना होने के कारण लगातार बिजली का बिल बकाया होते गया, जब बिल लाखों में हो गया, तब विभाग ने मीटर और केबिल उखाड़ कर उपरोक्त कनेक्शन को फोर्स पीडी कर दी गई... इसके उपरांत आवेदक प्रखर जैन द्वारा पूर्व में चल रहे संयोजन के एवज में हुए फोर्स पीडी का पूरा भुगतान स्वयं करते हुए नए कनेक्शन का आवेदन था।
प्राप्त जानकारी के अनुसार उपरोक्त दुकान के स्वामी रोहित कुमार जैन एवं किराए पर उठाने वाले दलाल पंकज कुमार जैन एवं आवेदक प्रखर जैन आपस में रिश्तेदार हैं... दलाल पंकज कुमार जैन को एक रईस किराएदार मिल गए जो 1 साल का एडवांस किराया अग्रिम रूप से देने के लिए तैयार थे, की लालच में बिना उपरोक्त दुकान के स्वामी रोहित कुमार जैन को बताएं बगैर फर्जी तरीके से पेपर तैयार करके संबंधित अवर अभियंता कप्तान सिंह को उपलब्ध कराया गया, यही नहीं किसी फर्जी व्यक्ति को रोहित कुमार जैन बात कर अवर अभियंता कप्तान सिंह से बात कराई और जब मामला कुछ गंभीर हो गया तो एक और रोहित कुमार जैन के हस्ताक्षर युक्त फर्जी पत्र लगाकर उपरोक्त संयोजन संबंधित आवेदन को खारिज कर दिया।
दाल में कुछ कल कि पूरी दाल ही काली...
एक तरफ अवर अभियंता कप्तान सिंह द्वारा बताया जाता है कि आवेदक को संयोजन ना देने का अनुरोध खुद रोहित कुमार जैन ने हस्ताक्षर युक्त पत्र देकर किया और इस संदर्भ में पंकज कुमार जैन ने अपने मोबाइल फोन से रोहित कुमार जैन की बात भी कराई.. तो क्या अवर अभियंता महोदय यह बता सकते हैं की क्या हुआ रोहित कुमार जैन को पहले से जानते थे वह किस आधार पर इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि जिसे बात कराया गया वह रोहित कुमार जैन ही है जबकि पत्रकार संजीव श्रीवास्तव के एक जवाब पर रोहित कुमार जैन ने बताया कि आज और कल दो दिनों से बिजली विभाग के अधिकारी हमारे संपर्क में हैं इसके पूर्व हमारी किसी से कोई बातचीत नहीं हुई।
दूसरी तरफ अगर हम उसे पत्र में दिए गए तिथि पर निगाह डालें, और सोशल मीडिया पर अधिशासी अभियंता मुंशी पुलिया के हस्ताक्षर युक्त अधीक्षण अभियंता सर्कल 9 को लिखे पत्र में दिए गए इस विषय की जानकारी को मिलान करें तो उपखंड अधिकारी एवं अवर अभियंता के झूठ का पर्दाफाश अपने आप हो जाएगा।
उपखंड अधिकारी एवं अवर अभियंता द्वारा इस प्रकार को दबाने के लिए कई प्रयास किये गए, जिसके तहत एक मोबाइल नंबर 7087496058 रोहित कुमार जैन बताते हुए जारी किया जब इस नंबर पर पत्रकार संजीव श्रीवास्तव द्वारा संपर्क किया गया तो जानकारी मिली कि हमारी आज और कल अगर छोड़ दें तो कभी किसी से कोई बातचीत नहीं हुई है ना ही हम किसी प्रखर जैन को आप जानते हैं... अगर इन बातों पर गौर किया जाए तो अवर अभियंता कप्तान सिंह कि वह बात गलत निकल रही है जिसमें पंकज कुमार जैन द्वारा अपने मोबाइल से रोहित कुमार जैन से बातचीत बताया गया था ... पंकज कुमार जैन किसको किराए पर दे रहा है किसको नहीं दे रहा है इस बात की जानकारी रोहित कुमार जैन को उपलब्ध नहीं करता था ... नहीं तो क्या यह संभव है किसी के संपत्ति पर कौन काबिज है कितने सालों से है यह पता ही ना चले... आज के जमाने में एक फिट जमीन के लिए गोलियां चल जाती हैं और यहां पूरी दुकान का दुकान पर प्रखर जैन 18 सालों से काबिज है और इस बात की जानकारी रोहित कुमार जैन को है ही नहीं।
अवर अभियंता कप्तान सिंह के पूरे कार्यकाल में अभी तक किसी भी प्रकार का कोई रिश्वत मांगने का आप नहीं लगा है विभाग में एवं क्षेत्र में अवर अभियंता कप्तान सिंह की छवि बिल्कुल साफ सुथरी है, अभी तो महीना बाद उनका रिटायरमेंट भी है... जिस व्यक्ति के ऊपर पूरे सर्विस करियर में कोई दाग न लगा हो आज रिटायरमेंट के दो माह बचे हो, इस प्रकार का आरोप लगे यह अपने आप में एक सोचनीय विषय है....
और यदि हम उपखंड अधिकारी अरविंद सिंह की बात करते हैं इनके कार्यकाल में अंतिम तीनों अवर अभियंताओं के ऊपर घूसखोरी का आरोप लग चुका है यहां से निलंबित होकर ही गए है... और यह तो सार्वजनिक है कि यदि घूस लिया जाता है तो अकेले हजम नहीं किया जाता है अपने अधिकारियों को इस घूसनुमा भोज में अवश्य शामिल किया जाता है... उपखंड अधिकारी अरविंद सिंह लगभग 4 वर्षों से तैनात हैं, उनके रहते एक संविदा कर्मी को दोनों हाथ एक दुर्घटना में गंवाने पड़े, किन-किन और अभियंता को निलंबित होना पड़ा... एक पत्रकार के ऊपर एससी एसटी जैसा झूठा मामला दर्ज हुआ... अनगिनत लंबी-लंबी दूरियों के फर्जी कनेक्शन दिए गए... और भी ऐसे काले कारनामे जिसको अभी उजागर करना का सही समय नहीं है, जल्दी पूरे सबूत के साथ इस बात को उजागर करेंगे भी।
आवाज प्लस आवेदक प्रखर जैन द्वारा उपखंड अधिकारी अरविंद सिंह एवं अवर अभियंता कप्तान सिंह के ऊपर 2 लाख रुपए की रिश्वत मांगने का लगाया गया है, की पुष्टि नहीं करता है सच्चाई क्या है यह आवेदक प्रखर जैन बता सकते हैं अथवा उपखंड अधिकारी या अवर अभियंता बता सकते हैं...लेकिन जांच के दौरान आवेदक प्रखर जैन द्वारा व्यावसायिक से संबंधित प्रस्तुत दस्तावेजों से व विभाग द्वारा उपलब्ध कराया गया रोहित कुमार जैन के मोबाइल नंबर पर कॉल रिसीव करने वाले व्यक्ति से हुई बातचीत पर बारीकी से गौर किया जाए तो यह साफ जाहिर है की दाल में कुछ काला है.. कुछ कल ही नहीं पूरी दाल काली है