Thursday, 07 September 2023 00:00
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शावेज को डेढ़ महीने पहले पड़ोस में रहने वाली महिला के पालतू कुत्ते ने काट लिया था. शावेज ने डांट के डर से ये बात परिवार को नहीं बताई. उसके शरीर में धीरे-धीरे रेबीज का इंफेक्शन फैलने लगा. 5 दिन पहले शावेज ने खाना-पीना छोड़ दिया. जब घरवालों को पता चला तो शावेज को अस्पताल ले गए. कई अस्पतालों में ले जाने पर भी शावेज को इलाज नहीं मिला. एंबुलेंस में तड़पते हुए शावेज ने पिता की गोद में दम तोड़ दिया.
दिल्ली से सटे गाजियाबाद में जो कुछ हुआ है उसे देखकर और सुनकर किसी का भी दिल दहल जाएगा. यहां पर 15 साल के एक बच्चे को कुत्ते ने काट लिया था और सही समय पर इलाज न मिलने की वजह से उसकी मौत हो गई. बच्चे का नाम शावेज था. शावेज को डेढ़ महीने पहले पड़ोस में रहने वाली महिला के पालतू कुत्ते ने काट लिया था. शावेज ने डांट के डर से ये बात अपने परिवार में किसी को नहीं बताई.
इस वजह से शावेज के शरीर में धीरे-धीरे रेबीज का इंफेक्शन फैलने लगा. लेकिन 5 दिन पहले 15 साल के शावेज ने खाना-पीना छोड़ दिया. जब घरवालों को पता चला तो शावेज को उसके परिवार वाले अस्पताल ले गए. कई अस्पतालों में ले जाने पर भी शावेज को इलाज नहीं मिला और इसके बाद एंबुलेंस में तड़पते हुए शावेज ने पिता की गोद में ही दम तोड़ा.
शावेज में मौत से पहले कौन से खतरनाक लक्षण दिखे जो आमतौर पर रेबीज के लक्षण हैं
- शावेज पानी पीने से डरने लगा
- शावेज ज़्यादातर अंधेरे में रहने लगा
- 15 साल का शावेज हवा में जाने से डरने लगा
- शावेज ने पिछले कुछ दिनों से खाना पीना भी बंद कर दिया था
- और दावा है कि बीच बीच में शावेज अजीब आवाजें भी निकालने लगा
हालांकि कुत्ते को पालने वाले परिवार का दावा है कि उन्होंने कुत्ते का वैक्सीनेशन करवा लिया था. लेकिन सवाल ये भी है कि अगर वैक्सीनेशन हो चुका था तो बच्चे में रेबीज के लक्षण कैसे दिखने लगे.
मौजूदा वक्त में समाज में आवारा कुत्तों को लेकर वैचारिक जंग जैसे हालात हैं. इस जंग में एक तरफ वो लोग हैं जो इनके आतंक से परेशान है तो दूसरी ओर वो डॉग लवर्स हैं जो इनकी देख रेख करते हैं. इन्हें खाना खिलाते हैं. लेकिन जब यही कुत्ते किसी पर हमला करते हैं तो उसकी ज़िम्मेदारी कोई नहीं लेता. सबसे बड़ी बात ये है कि आवारा कुत्तों की दिक्कत से निपटने में सिर्फ पशु प्रेमी ही दीवार नहीं है बल्कि हमारे देश के कानून में भी आवारा कुत्तों के लिए कई नियम कायदे बनाए गए हैं.
पशु क्रूरता निरोधक अधिनियम 1960 में बताया गया है कि आवारा कुत्ते देश के मूल निवासी हैं. आवारा कुत्ते जहां चाहें…वहां रह सकते हैं. किसी को कुत्तों को भगाने का हक नहीं है और आवारा कुत्तों से क्रूरता पर 5 साल तक की सज़ा भी हो सकती है. यानी अगर आप गली के आवारा कुत्तों से परेशान हैं तो ठीक है लेकिन अगर आपकी वजह से इन आवारा कुत्तों को कोई परेशानी हुई तो आपको कानूनी उलझन में फंस सकते हैं.