Saturday, 05 June 2021 00:00
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स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश खारा ने रिजर्व बैंक की शुक्रवार को घोषित दूसरी मौद्रिक नीति समीक्षा पर प्रतिक्रिया देते हुये कहा कि ‘‘नीतिगत घोषणा में स्पष्ट तौर पर दबाव का सामना कर रहे क्षेत्रों पर अधिक न्यायपूर्ण वितरण के जरिये तरलता समर्थन बढ़ाने पर ध्यान दिया गया है।
नयी दिल्ली। देश के सबसे बड़े वाणिज्यिक बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने कहा है कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा में स्पष्ट तौर पर कोरोना वायरस महामारी के कारण दबाव में आये क्षेत्रों पर ध्यान दिया गया है और उन्हें नकदी उपलब्ध कराने के लिये बेहतर सुविधायें उपलब्ध कराई गई हैं। स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश खारा ने रिजर्व बैंक की शुक्रवार को घोषित दूसरी मौद्रिक नीति समीक्षा पर प्रतिक्रिया देते हुये कहा कि ‘‘नीतिगत घोषणा में स्पष्ट तौर पर दबाव का सामना कर रहे क्षेत्रों पर अधिक न्यायपूर्ण वितरण के जरिये तरलता समर्थन बढ़ाने पर ध्यान दिया गया है। मौजूदा अनिश्चित स्थिति को देखते हुये आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति के आंकड़ों को संशोधित किया गया है।’’
सार्वजनिक क्षेत्र के दूसरे बड़े बैंक पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ एस एस मल्लिकार्जुन राव ने मौद्रिक नीति की समीक्षा पर कहा, ‘‘रिजर्व बैंक ने एक बार फिर कोरोना वायरस की दूसरी लहर से उपजी कठिन परिस्थिति में आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये उपयुक्त कदमों की घोषणा की है। खास खिड़की सुविधा के तहत 15,000 करोड़ रुपये की नकदी सुविधा उपलब्ध कराने की घोषणा की गई है जिससे बुरी तरह से प्रभावित होटल, रेस्त्रां, पर्यटन और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम श्रेणी के उद्यमों को मदद मिलेगी।’’ रिजर्व बैंक ने तीन दिन चली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद शुक्रवार को इसके निष्कर्ष की घोषणा की। केन्द्रीय बैंक ने प्रमुख नीतिगत दर रेपो को चार प्रतिशत पर पूर्ववत रखा है।
रिवर्स रेपो दर को भी 3.35 प्रतिशत पर यथावत रखा गया। हालांकि, चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि के अनुमान को घटाकर 9.5 प्रतिशत कर दिया। मुद्रास्फीति का आंकड़ा 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है। एसबीआई के चेयरमैन खारा ने कहा कि तरलता, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के जरिये बाजार हस्तक्षेप और दबाव झेल रहे एमएसएमई क्षेत्र की समस्या का समाधान करके आर्थिक वृद्धि को सहारा देने का प्रयास स्पष्ट नजर आता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा कठिन समय में आरबीआई और सरकार के समन्वित और सक्रिय प्रयासों से आर्थिक वृद्धि को अधिक टिकाऊ आधार पर समर्थन दिया जा सकेगा।