Wednesday, 25 January 2017 10:43 AM
POOJA SINGH
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश का रायबरेली का नाम आते हैं इंदिरा गांधी, कांग्रेस पार्टी, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी का नाम जुबान पर आ जाता है. यहां पर अभी तक कांग्रेस पार्टी को हराना संभव नहीं हो पाया, कम से कम लोकसभा चुनाव की बात में यह सच है. कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले रायबरेली में कांग्रेस विधानसभा की सभी सीटें जीता करती थी. लेकिन समय के बदलने के साथ और दूसरी पार्टी के मजबूत उम्मीदवारों ने कांग्रेस पार्टी की चमक को कुछ फीका जरूर किया. विधानसभा चुनावों में रायबरेली सदर की सीट पर कांग्रेस पार्टी काफी लंबे समय से कब्जा नहीं कर पाई है.
दरअसल, रायबरेली की सदर विधानसभा सीट पर उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता अखिलेश सिंह का कब्जा रहा है. सिंह यहां से लगातार पांच बार से विधायक रहे हैं. इस बार कांग्रेस पार्टी ने अखिलेश सिंह की बेटी को टिकट दिया है. अखिलेश सिंह की बेटी अदिति सिंह ने 12 वीं दिल्ली से पास की है और फिर अमेरिका में मैनेजमेंट से ग्रेजुएशन पूरा किया है.
अमेरिका से पढ़ाई करने के बाद लाखों रुपये की नौकरी पर अदिति ने ध्यान नहीं दिया और पिता की ही तरह राजनेता बनने की राह पर चल पड़ी है. आजकल अदिति रायबरेली की सदर सीट के वोटरों के घर जा रही हैं और वोट की अपील कर रही है. इलाके के लोगों को वह अपना बताती है और कहती हैं कि वह यहीं पली बढ़ी हैं और लोग उन्हें अपना समर्थन देंगे.
वैसे अदिति ने अपने पिता की विरासत संभालने का मन बनाया और पिता से यह बात कही. पांच बार के विधायक अखिलेश सिंह ने बेटी के लिए यह घोषणा कर दी है कि वह इस बार अपनी सीट बिटिया अदिति को सौंपने जा रहे हैं. अदिति सिंह ने यूपी के कांग्रेस प्रभारी गुलाम नबी आजाद की मौजूदगी में कांग्रेस पार्टी की सदस्यता कुछ दिन पहले ही ली है. जानकारी के लिए बता दें कि 2006 के लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने यह सीट रिकॉर्ड 80.4 फीसदी वोट शेयर के साथ जीती थी. वहीं, रायबरेली जिले की पांच में से चार विधानसभा सीट भी कांग्रेस के खाते में आई, लेकिन पांचवीं सीट रायबरेली सदर पर अखिलेश सिंह ने बाजी मारी थी. अखिलेश सिंह ने 20 हजार वोटों के अंतर से इस सीट पर कब्जा किया था.
उल्लेखनी है कि अपराध के कई संगीन मामलों में आरोपी अखिलेश सिंह पहले कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में रायबरेली सदर से चुनाव जीतते रहे थे, बाद में पार्टी ने दूरी बना ली तो निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में भी जेल से उनकी जीत का सिलसिला जारी रहा.
पिछले 13 सालों से अखिलेश कांग्रेस से बाहर हैं और चुनावों में कांग्रेस पार्टी और नेतृत्व को कोसते रहे हैं लेकिन उम्र बढ़ने के साथ ही बेटी के लिए उन्होंने कांग्रेस को ही तवज्जो दी है.