Friday, 16 June 2017 04:07AM
AP DESK
सूचीबद्ध कंपनियों की तरफ से खुलासा वाले प्रावधानों का अनुपालन नहीं करने पर सख्ती बढ़ाते हुए बाजार नियामक सेबी ने बोनस इश्यू पूरा करने में देरी करने पर जुर्माना बढ़ा दिया है। अब बोनस शेयर के आवंटन में देरी पर कंपनियों को 1 करोड़ रुपये का जुर्माना चुकाना होगा, साथ ही अभियोग का भी सामना करना होगा। सेबी ने गुरुवार को परिपत्र जारी करते हुए स्टॉक एक्सचेंजों से कहा है कि इश्यू ऑफ कैपिटल ऐंड डिस्क्लोजर (आईसीडीआर) नियमों के कुछ निश्चित प्रावधान का अनुपालन न किए जाने पर वह जुर्माना लगाए।
सेबी ने अपने परिपत्र में कहा है कि अगर अनुपालन न करने का सिलसिला 15 दिन या ज्यादा समय तक जारी रहता है तो कंपनी को अपनी चुकता पूंजी का 0.01 फीसदी या एक करोड़ रुपये (जो भी कम हो) चुकाना होगा। इसमें कहा गया है, इस मामले में चुकता पूंजी उसे माना जाएगा जो उस वित्त वर्ष के पहले दिन था और उस वक्त अनुपालन नहीं किया गया था।
इसी तरह ऋण को इक्विटी में परिवर्तित करने के मामले और परिवर्तनीय प्रतिभूतियों के मामले में इतना ही जुर्माना लगाया जाएगा। उदाहरण के लिए अगर कंपनी परिवर्तनीय प्रतिभूतियों के परिवर्तन के 18 महीने के भीतर शेयरों का आवंटन नहीं करती है या इश्यू करने वाला आवंटन की तारीख से 20 दिन के भीतर इक्विटी शेयर को सूचीबद्ध कराने की खातिर एक्सचेंज से संपर्क नहीं करती है तो जुर्माना लगाया जाएगा।
सेबी ने कहा, अनुपालन न करने वाली सूचीबद्ध कंपनियां अगर जुर्माना चुकाने में नाकाम रहती है तो स्टॉक एक्सचेंज उचित कदम उठा सकता है, जिसमें अभियोग शामिल है। जुर्माने की रकम संबंधित एक्सचेंज के निवेशक सुरक्षा कोष में जमा होगी। सेबी ने एक्सचेंजों से यह भी कहा है कि वह अनुपालन न करने वाली वैसी सूचीबद्ध कंपनियों का नाम अपनी वेबसाइट पर प्रचारित करे, जो इस गलती पर जुर्माने का दायी हो। साथ ही जुर्माने की रकम और चुकाई गई रकम का भी विवरण वहां दिया जाए।