Monday, 04 January 2021 00:00
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उत्तर प्रदेश में सीएए के विरोध में हिंसा के अब तक 4751 आरोपियों के विरुद्ध कोर्ट में आरोपपत्र दाखिल किए जा चुके हैं। अब आगजनी और पुलिस पर हमला करने के आरोपितों के विरुद्ध दर्ज 510 मुकदमों में कानूनी शिकंजा कसने की कसरत तेज हो गई है।
लखनऊ । नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में हाथों में पत्थर लेकर सड़क पर उतरे उपद्रवियों के लिए वर्ष 2021 मुश्किलों भरा होगा। लखनऊ, कानपुर और मेरठ समेत उत्तर प्रदेश के अन्य शहरों में आगजनी और पुलिस पर हमला करने के आरोपितों के विरुद्ध दर्ज 510 मुकदमों में कानूनी शिकंजा कसने की कसरत तेज हो गई है। सूबे में अब तक 4751 उपद्रवियों के विरुद्ध कोर्ट में आरोपपत्र दाखिल किए जा चुके हैं। इस वर्ष 2500 से अधिक और आरोपितों के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल किए जाने की तैयारी है। उपद्रवियों से क्षतिपूर्ति की प्रक्रिया भी साथ-साथ चल रही है।
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुई हिंसा में 1.72 करोड़ रुपये से अधिक की राजकीय संपत्ति की क्षतिपूर्ति की जानी है। उपद्रवियों से अब तक इसमें से 26.33 लाख रुपये की वसूली की जा चुकी है। शेष क्षतिपूर्ति के लिए शासन ने कड़े निर्देश दिए हैं। इसके तहत मऊ में एक मैरिज लॉन भी सीज किया गया है। दिसंबर, 2019 में लखनऊ समेत कई शहर सुलग उठे थे।
सीएए के विरोध में कुछ संगठनों ने बड़ी साजिश के तहत विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा कराई थी। पहली बार जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में पत्थरबाज पुलिस के सामने आए थे। कानून-व्यवस्था को लेकर बड़े सवाल खड़े हुए थे और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उपद्रवियों से क्षतिपूर्ति का ऐलान किया था। इसके बाद ही सरकार ने उप्र रिकवरी ऑफ डैमैजेज टू पब्लिक एंड प्राइवेट प्रापर्टी अध्यादेश-2020 को मंजूरी दी थी और कार्रवाई के कदम आगे बढ़े थे। वर्तमान में क्षतिपूर्ति के करीब 206 मामले संबंधित अपर जिलाधिकारी न्यायालय में विचाराधीन हैं, जिन्हें जल्द निस्तारित करने के निर्देश दिए गए हैं।
पुलिस आंकड़ों के अनुसार सरकारी संपत्तियों को क्षति पहुंचाने के मामलों में करीब 896 आरोपितों के विरुद्ध नोटिस जारी की गई हैं। सीएए के विरोध में हुई हिंसा के मामलों में सबसे अधिक मुकदमे आगरा जोन में 105 व मेरठ जोन में 104 दर्ज कराए गए थे। पुलिस कार्रवाई के दौरान हिंसात्मक प्रदर्शनों में शामिल 4144 आरोपितों को नामजद किया गया था, जबकि विवेचना के दौरान 3975 आरोपितों के नाम प्रकाश में आए थे। इनमें 586 आरोपित कोर्ट में हाजिर हुए थे, जबकि पुलिस ने 2514 आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। करीब 1800 आरोपितों की गिरफ्तारी अभी होनी है। पुलिस विवेचना में 816 आरोपितों की भूमिका सामने नहीं आई और उन्हें मुकदमों से बाहर किया जा चुका है। पुलिस ने हिंसा के 19 मुकदमों में अंतिम रिपोर्ट भी लगाई है।
एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुई हिंसा के मामलों में गुण-दोष के आधार पर निष्पक्ष विवेचना कर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। सभी मामलों की मानीटरिंग भी कराई जा रही है। लंबित प्रकरणों में जल्द प्रभावी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।