Saturday, 17 March 2018 11:15 AM
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उत्तर प्रदेश: लोक सेवा आयोग की ओर से जारी एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती के विज्ञापन ने नया विवाद उत्पन्न कर दिया है। हिंदी विषय की शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों की राह में संस्कृत विषय रोड़ा बन गया है।
आयोग ने आवेदन के लिए इंटरमीडिएट में संस्कृत विषय अनिवार्य कर दिया है, जबकि पूर्व में हुई भर्तियों में ऐसा नहीं था। इससे लाखों की संख्या में अभ्यर्थी आवेदन से वंचित हो रहे हैं।
शुक्रवार को बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने आयोग में पहुंचकर प्रदर्शन किया और ज्ञापन सौंपा। साथ ही मुख्यमंत्री को भी ज्ञापन प्रेषित इस विसंगति से अवगत कराया है।
यूपीपीएससी ने राजकीय स्कूलों में एलटी ग्रेड शिक्षकों के 10768 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला है। इनमें 1433 पद हिंदी विषय के शिक्षकों के हैं, जिनमें पुरुष शिक्षकों के 696 और महिला शिक्षकों के 737 पद हैं।
आयोग ने आवेदन के लिए योग्यता निर्धारित की है कि अभ्यर्थी हिंदी से स्नातक हो और अभ्यर्थी ने इंटरमीडिएट में संस्कृत विषय अनिवार्य रूप से लिया हो या संस्कृत के साथ समकक्ष परीक्षा दी हो। साथ ही वह शिक्षा स्नातक हो।
प्रतियोगियों को निर्धारित योग्यता पर आपत्ति है। उनका कहना है कि पूर्व में एलटी ग्रेड शिक्षकों की जितनी भर्तियां हुईं, उनमें इंटरमीडिएट में हिंदी या संस्कृत विषय योग्यता होती थी। यानी दोनों में से कोई एक विषय रहा तो अभ्यर्थी आवेदन कर सकता था।
इंटरमीडिएट में विज्ञान वर्ग के छात्र हिंदी या संस्कृत में कोई एक विषय ही रख सकते हैं। ऐसे छात्रों की संख्या लाखों में है। प्रतियोगी छात्रों ने योग्यता निर्धारण में संशोधन की मांग की है।
प्रतियोगियों ने आयोग के सचिव को ज्ञापन दिया। सचिव जगदीश ने प्रतियोगियों को बताया कि विज्ञापन शासन की नियमावली के अनुरूप जारी किया गया है और उसमें इंटर में संस्कृत को अनिवार्य किया गया है। इसलिए आयोग इसमें संशोधन नहीं कर सकता। संशोधन शासन स्तर से ही संभव है।