Thursday, 08 December 2022 00:00
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लखनऊ। आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत नवयुग कन्या महाविद्यालय के संस्कृत विभाग एवं शिक्षाशास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वावधान में समाज निर्माण में शिक्षकों की भूमिका विषय पर विशिष्ट विद्वत्त व्याख्यान का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम प्राचार्य प्रोफेसर मंजुला उपाध्याय की अध्यक्षता में एवं संस्कृत विभाग की सहायक आचार्य डॉ वंदना द्विवेदी के संयोजकत्व में आयोजित हुआ।
इस कार्यक्रम का प्रारंभ सर्वप्रथम वंदना द्विवेदी के द्वारा वैदिकमंगलाचरण से किया गया, कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि एवं मुख्य वक्ता जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के संस्कृत एवं प्राच्य विद्या अध्ययन संस्थान के प्रोफ़ेसर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हरिराम मिश्र रहे।
अतिथियों का औपचारिक स्वागत के बाद दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती मां की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ कार्यक्रम का औपचारिक प्रारंभ हुआ वैदिक दीप प्रज्वलन मंत्र तथा सरस्वती वंदना प्रतिभा द्विवेदी के द्वारा प्रस्तुत किया गया। मुख्य अतिथि ने अपने उद्बोधन में कहा कि शिक्षक एवं छात्र उन्नत राष्ट्र का निर्माण करने में योगदान दे सकते हैं, यदि हम अपने इतिहास को पलट कर देखें, तो कौटिल्य जैसे शिक्षक के चलते चंद्रगुप्त जैसे शासक का आज नाम इतिहास में अमर है। अध्यापन से अध्यापक की विद्या और भी प्रस्फुटित होती है, अध्ययन के समय खूब पढ़ी हुई विद्या अध्यापन के समय विलक्षण रूप से विकसित होती है। संस्कार का शिक्षा पर बहुत प्रभाव पड़ता है, संस्कारित होना और शिक्षित होना दोनों अलग बात है आत्मा उन्नति करने से ही देश की उन्नति संभव है समाज निर्माण से ही देश का निर्माण होगा। हमारे ज्ञान को लेकर पाश्चात्य देश आगे हो गए हैं, लेकिन हम उस ज्ञान को अभी तक समझ नहीं पाए हैं, शिक्षक का कार्य छात्रों में सकारात्मक सामाजिक भावनात्मक और बौद्धिक विकास को प्रेरित करता है, ताकि वे अपने निजी जीवन में अर्जित समझ और ज्ञान का समुचित उपयोग कर बेहतर निर्णय ले सके और समाज निर्माण के लिए बहुमूल्य योगदान कर सकें।
इस अवसर पर प्राचार्य मंजुला उपाध्याय ने कहा कि सही मायने में कहा जाए तो एक शिक्षक ही अपने विद्यार्थी का जीवन गढता और सवारता है और शिक्षक ही समाज की आधारशिला है, एक शिक्षक अपने जीवन के अंत तक मार्गदर्शक की भूमिका का निर्वहन करता है और समाज को उचित राह दिखाता रहता है, तभी शिक्षक को समाज में उच्च दर्जा प्राप्त है।
कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर विभागाध्यक्ष संस्कृत रीता तिवारी के द्वारा किया गया। इस अवसर पर त्रिपुरा केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के डॉक्टर पवन दीक्षित तथा लखनऊ विश्वविद्यालय के डॉ भुवनेश्वरी भारद्वाज और शिक्षा शास्त्र विभाग की विभागाध्यक्षा श्रीमती सुनीता सिंह, श्रीमती ऐश्वर्या सिंह श्रीमती नीलम यादव, डॉक्टर सृष्टि श्रीवास्तव, डॉक्टर संगीता कोतवाल प्रोफेसर सुषमा त्रिवेदी, डॉक्टर ज्योत्सना गौतम, डॉ नीतू सिंह, डॉ विनीता सिंह, डॉ अंजुला कुमारी, प्रोफेसर सीमा सरकार, डाक्टर मंजुला यादव, डॉ अमिता रानी, डॉ कल्पना डॉक्टर, शर्मितानंदी, डॉ आभा दुबे, डॉक्टर नेहा पांडे, नेहा कुमारी, मेघना कुमारी, ललिता पांडे आदि उपस्थित थे। छात्राओं में सृष्टि यादव, काजल अवस्थी, प्रिया वर्मा प्रेमलता, श्रद्धा आदि छात्राएं तथा कर्मचारी गण उपस्थित रहे।